चांदी के आभूषणो से सजी महाकाली

चांदी के आभूषणो से सजी महाकाली

नवरात्रि की अष्टमी पर आज होगी महागौरी की पूजा, जिले भर उत्सव चरम पर

बांधवभूमि, तपस गुप्ता

उमरिया/बिरसिंहपुर पाली
शारदेय नवरात्रि की अष्टमी पर आज मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जायेगी। इसके सांथ ही जिले भर मे उत्सव अपने चरम पर पहुंच गया है। जैसे-जैसे नवमी करीब आ रही है, पण्डालों मे बिराजी मातेश्वरी का तेज भी निखरता जा रहा है। जगह-जगह धार्मिक आयोजन हो रहे हैं। शाम होते ही श्रद्धालु माता की छवि को निहारने निकल पड़ते हैं। उनके दर्शनो को उमड़ रही भीड़ से शहर और कस्बे अटे जा रहे हैं। इधर पाली के बिरासिनी धाम मे रविवार को माता महाकाली का चांदी के आभूषणो से श्रंगार किया गया। उल्लेखनीय है कि नवरात्रि की सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की आराधना की जाती है। पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक असुरों का वध करने के लिए मां पार्वती ने कालरात्रि का रूप धारण किया था। मान्यता है कि मां कालरात्रि की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने वाले साधकों को भूत, प्रेत या बुरी शक्ति का डर नहीं सताता।

कल सोने के जेवरों से श्रंगार
शारदेय नवरात्र पर्व की अष्टमी तिथि पर आज माता बिरासिनी के दरबार मे अठमाईन चढाकर माता की पूजा अर्चना की जायेगी। मानता है कि अष्टमी तिथि को अठमाईन चढ़ाने से माता विशेष भोग के रूप में इसे ग्रहण करती है और मनोवांछित फल की प्राप्ति कराती है। गौरतलब है कि आज ग्रामीण क्षेत्र के लोग अठमाईन के साथ विशाल झंडे लेकर माता के दरबार आते है साथ ही नगर गॉव में नेकी भलाई की कामना करते है। अष्टमी पर आज मां का विशेष श्रृंगार भी किया जाएगा।  माता बिरासनी के दरबार में संध्या आरती के दौरान आज विशेष आरती का आयोजन किया जायेगा जिसमें नगर के अलावा प्रदेश के कोने कोने से श्रद्धालु इस आरती में शामिल होकर पुण्य लाभ की प्राप्ति करेंगे। जिले के प्रसिद्ध शक्ति केन्द्र मां बिरासिनी देवी मंदिर में आज मां का स्वणर््ंा आभूषणों से भव्य श्रृं्रगार किया जाएगा। जबकि कल नवमीं तिथि पर ऐतिहासिक जवारा जुलूस निकलेगा।

पांच हजार कलश स्थापित
शारदेय नवरात्र पर मां बिरासिनी दरबार मे 5 हजार 179 कलश स्थापित किये गये हैं। इनमे ज्योति घी कलश, ज्योति तेल कलश, आजीवन ज्योति घी कलश, आजीवन ज्योति तेल व साधारण कलश शामिल हैं। जिनका विसर्जन नवमी तिथि पर 23 अक्टूबर को किया जायेगा। जवारा चल जुलूस  मंदिर प्रांगण से निकल कर नगर का भ्रमण करता हुआ स्थानीय सगरा तालाब पहुंचेगा। जहां जवारे विसर्जित किये जायेंगे।

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