घर-घर मे होगी माता लक्ष्मी की पूजा

सनातन पर्व दीपावली पर मिलेगा सुख, समृद्धि और एश्वर्य का वरदान
उमरिया, बांधवभूमि न्यूज
सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक आलोक पर्व दीपावली आज उल्लास के सांथ मनाई जाएगी। शाम ढलते ही घर, आंगन दीपमालिकाओं की रोशनी से दमक उठेंगे। पटाखे, फुलझडिय़ां जलेंगी, आकर्षक सजावट, धूप और कपूर की महक के बीच माता महालक्ष्मी के आगमन की धूम होगी। मंदिरों और घरों मे लक्ष्मी-गणेश की विधि-विधान से पूजा, अर्चना कर समृद्धि और खुशहाली की कामना की जाएगी। रात्रि के समय ग्वाल घर-घर लोगों को जगाएंगें और इसी के साथ 11 दिनों तक चलने वाले ग्वाल नृत्य की शुरूआत हो जाएगी। कई दिनों से चल रही तैयारी के बाद आज दीपावली की शुभ घड़ी मे लक्ष्मी के आगमन को लेकर उत्सव मनाया जाएगा। धन की देवी मां लक्ष्मी के स्वागत के लिये दो सप्ताह पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी गयी थीं। प्रतिष्ठानों, घरों तथा देवालयों को साफ-सफाई के बाद रंग-रोगन किया गया है।
सजेगी रंगोलियां, दमकेंगे दीप
दीपावली के लिए अंतिम चरण की तैयारियां आज की जाएगी। लक्ष्मी के स्वागत के लिए बालिकाएं जहां घर आंगन मे खूबसूरत रंगोलियां तैयार करेंगी वही युवक रंग बिरंगे झालरों से घरों को आकर्षक बनाएंगे। शाम होते ही दीपमालिकाओं के सांथ जैसे ही इन झालरों को जलाया जाएगा रंगोलियां दमकेगी और वातावरण बहुरंगी प्रकाश से नहा उठेगा।
यह है पूजा का श्रेष्ठ समय
रायपुर छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध ज्यातिषाचार्य चंदन शर्मा के मुताबिक इस साल कार्तिक अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 28 मिनट से लग रही है और इसी दिन प्रदोष काल मे और मध्यरात्रि मे अमावस्या तिथि है, इसलिए गृहस्थजन 24 अक्टूबर को ही दीपावली का पूजन प्रदोष काल में करेंगे। प्रदोष काल शाम मे 5 बजकर 43 मिनट से शुरू होगा। इस समय चर चौघडिय़ा रहेगा जो शाम में 7 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। उसके बाद रोग चौघडिय़ा लग जाएगा। शाम मे मेष लग्न 6 बजकर 53 मिनट तक है। ऐसे मे स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए स्थिर लग्न मे शाम 6 बज कर 53 मिनट से 7 बजकर 30 मिनट से पहले गृहस्थ जनो को देवी लक्ष्मी की पूजा आरंभ कर लेनी चाहिए। जो लोग प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन नहीं कर पाते हैं या विशेष सिद्धि के लिए लक्ष्मी पूजन करना चाहते हैं वह रात मे निशीथ काल में 8 बजकर 19 मिनट से रात 10 बजकर 55 मिनट के बीच पूजा कर सकते हैं। महानिशीथ काल मे दीवाली की साधना साधक लोग करते हैं। तंत्र साधना के लिए यह समय अति उत्तम रहेगा। रात 10 बजकर 55 मिनट से रात 1 बजकर 31 मिनट महानिशीथ काल में तंत्रोक्त विधि से दिवाली पूजन किया जा सकता है।

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