ट्रेनो के इंतजार मे टूट रही यात्रियों की कमर, जरूरी काम हो रहे प्रभावित
बांधवभूमि, उमरिया
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे अंतर्गत कटनी-बिलासपुर मार्ग की ट्रेनो की लेटलतीफी ने यात्रियों के लिये मुसीबत खड़ी कर दी है। इस रूट की अधिकांश गाडिय़ां देरी से चल रही हैं। इनमे से कुछ 15 घंटे और कुछ 8 घंटे विलंब से बताई जाती हैं। ट्रेनों के विलंब के बारे मे रेलवे का कोई भी अधिकारी स्पष्ट कारण नहीं बता रहा है। हालत यह है कि 10 घंटे का सफर लोगों को दोगुने से भी ज्यादा समय मे पूरा करना पड़ रहा है। इससे उन्हे भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। ट्रेनो के इंतजार मे खड़े रमेश गुप्ता और अजय गुप्ता ने बताया कि उन्हे एक मीटिंग के सिलसिले मे भोपाल जाना है, जो सुबह 10 बजे शुरू होगी, पर लगता नहीं है कि वे समय पर वहां पहुंच सकेंगे। यही परेशानी विभिन्न शहरों की ओर यात्रा करने वाले छात्रों और व्यापारियों ने भी बयां की। सबसे ज्यादा फजीहत इलाज के लिये जाने वाले मरीजों की है, जिनका कहना है कि उन्होने जांच के लिये डाक्टर से समय लिया है, जिसके बाद वापसी का भी रिजर्वेशन है, पर ट्रेन तो अभी उमरिया ही नहीं पहुंची है।
कौन सी गाड़ी, कितनी लेट
कटनी-बिलासपुर मार्ग की गाडिय़ों की दशा बेहद खराब है। आलम यह है कि मंगलवार सुबह 6.33 बजे उमरिया पहुंचने वाली 15232 गोंदिया-बरौनी रात्रि 9.30 बजे के बाद आई। इसी तरह 18247 बिलासपुर-कटनी 6 घंटे, 18234 बिलासपुर-इंदौर नर्मदा 5.30 घंटे, 18253 दुर्ग-भोपाल 3.10 घंटे, 18236 बिलासपुर-भोपाल 4.44 घंटे, 11266 अंबिकापुर-जबलपुर 1.30 घंटे, 18277 पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस 4 घंटे देरी से चल रही थी।
इधर से भी वही हाल
जबकि राईट टाईम के लिये प्रसिद्ध हरिद्वार-पुरी उत्कल प्रात: 3.50 की बजाय दोपहर 12.08 बजे आई। वहीं 18254 भोपाल-दुर्ग अमरकण्टक एक्सप्रेस 5.40 घंटे, 18233 इंदौर-बिलासपुर 2.25 घंटे, 15231 बरौनी-गोंदिया 4.25 घंटे तथा 18252 भोपाल-दुर्ग कल 3.40 घंटे देरी से उमरिया पहुंचीं। इसके अलावा 15159 छपरा-दुर्ग सारनाथ एक्सप्रेस 6.11 घंटे और 15160 दुर्ग-छपरा 4.13 घंटे लेट बिरसिंहपुर पाली आ सकी।
आ रही साजिश की बू
एक ओर जहां सरकार देश मे बुलट ट्रेन चलाने की बात कहते नहीं थकती, वहीं दूसरी तरफ लोगों को पहले से मिल रही सुविधायें पाना मुहाल होता जा रहा है। ट्रेनो के संचालन की ऐसी बदतर हालत शायद ही कभी देखी गई हो। इतनी बड़ी फेलुअर के बारे मे ना तो रेल प्रशासन और ना ही सरकार कुछ बता पा रही है। वहीं सूत्र इसे लेकर अलग ही दावा कर रहे हैं। उनका कहना है कि अकारण ट्रेनो को रद्द करने और लेट संचालन के पीछे एक ही मंशा है कि जनता मे भारतीय रेल की छवि खराब हो। जिससे इसे बेंचने का रास्ता खुल जाय। खरबों की परिसंपत्तियों वाली रेलवे को कौडिय़ों के दाम अपना करने का जो सपना उद्योगपति बरसों से देख रहे हैं, वह ऐसी साजिशों से ही पूरा हो सकता है।
गोंदिया 15, उत्कल 8 घंटे लेट
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