गोंगपा नेताओं ने दूसरे दल के लोगों पर फोड़ा हिंसा का ठीकरा, कार्यकर्ताओं को 7 दिन मे रिहा करने की मांग
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश, उमरिया
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने विगत दिनो जिला मुख्यालय मे हुई शर्मनाक घटना से पल्ला झाड़ते हुए इसके लिये अन्य दलों को दोषी ठहराया है। पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि वे तो शांतिपूर्ण तरीके से अपना धरना-प्रदर्शन कर रहे थे, पर अन्य दलों के लोगों मे घुस कर हिंसा करवा दी। इसमे उनका कोई कसूर नहीं है। गोंगपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इरफान मलिक और प्रदेश अध्यक्ष अमान सिंह पोर्ते सहित कई नेताओं ने मंगलवार को कलेक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य को ज्ञापन सौंपा और पकड़े गये लोगों को रिहा करने की मांग की। इसके बाद मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी हिंसा नहीं करती, वह लोकतांत्रिक तरीके से अपना विरोध दर्ज करवाती है। 26 सितंबर को भी ऐसा ही किया जा रहा था, पर दूसरे दलों और असमाजिक तत्वों ने हिंसा करवा दी जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। इस मौके पर गोंगपा नेता हिंसा के आरोप मे गिरफ्तार कार्यकर्ताओं से मिलने जिला जेल भी गये और उन्हे मदद का आश्वासन दिया।
तो करेंगे जेल भरो आंदोलन
गोंड़वाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय व प्रदेश नेतृत्व का कहना है कि जिले मे आदिवासियों के सांथ अन्याय हो रहा है। खनिज के उत्खनन से लेकर नेशनल पार्क मे वन्यजीवों तक, हर जगह सिर्फ उन्हे ही निशाना बनना पड़ता है। इसके चलते लोगों को खेत और घरों से बेदखल किया जा रहा है। भ्रष्टाचार तथा योजनाओं का लाभ नहीं मिलने से जनजातीय समाज की हालत खराब होती चली जा रही है। विगत कई महीनो से संगठन आदिवासियों के सांथ हो रहे अन्याय के विरूद्ध लड़ाई लड़ रहा है। इसी के तहत 26 सितंबर को रानी दुर्गावती चौक मे प्रदर्शन आयोजित था। यहां पर भी उनके लोगों को साजिशन फंसाया गया है। पदाधिकारियों ने सरकार, प्रशासन और पुलिस को चेतावनी दी है कि वह सात दिन मे गिरफ्तार बेकसूरों को रिहा करे, अन्यथा जेल भरो आंदोलन किया जायेगा।
दुकाने लूटने और अफसरों को मारने का फरमान
उल्लेखनीय है कि अपनी विभिन्न मागों को लेकर विगत 26 सितंबर को गोंगपा द्वारा नगर मे बड़ा प्रदर्शन आयोजित किया गया था। इसी दौरान पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता रानी दुर्गावती चौक पर बैठ गये, जिससे सडक़ें जाम हो गई और अव्यवस्था फैलने लगी। इधर पार्टी के नेता राधेश्याम काकोडिय़ा तथा अन्य लोगों ने आपत्तिजनक और उत्तेजक भाषण देना जारी रखा। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक उनके द्वारा लोगों से शहर मे घुस कर दुकाने लूटने, आगजनी तथा पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों पर हमले तक की बातें कहीं गई, जिससे माहौल तेजी से खराब होने लगा।
किस तरह हुई थी हिंसा
प्रदर्शनकारियों को उकसाने की कोशिश के बीच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रतिपाल सिंह महोबिया, चंदिया, नौरोजाबाद आदि थानो के टीआई सहित अन्य अधिकारी और जवान लगातार लोगों से ऐसा कदम न उठाने का आग्रह कर रहे थे। तभी शहर की ओर जाने से रोकने पर आंदोलनकारी भडक़ उठे और उन्होने मारपीट शुरू कर दी। बेकाबू भीड़ पुलिस के अधिकारियों और कर्मियों पर हमला करने लगी। देखते ही देखते सारी व्यवस्था तहस-नहस हो गई। एक-एक अधिकारी और जवान को 50-50 लोग ईट, पत्थर और लाठियों से पीटते देखे गये। पुलिस के कई जवान और अफसर खून से लथपथ सडक़ पर गिरे हुए थे, इसके बाद भी उन्हे मारा जा रहा था। यह मंजर जिसने भी देखा, उसका शरीर कांप गया। इतना ही नहीं हमलावरों ने एक पुलिसकर्मी की सर्विस रिवाल्वर भी लूट ली। लोगों का दावा है कि यह पूरी घटना पूर्व नियोजित थी। ऐसे मे गोंगपा नेताओं के बयानों पर शायद ही कोई यकीन करे।
दो दर्जन पुलिसकर्मी हुए थे लहूलुहान
इस घटना मे एएसपी श्री महोबिया सहित करीब दो दर्जन पुलिसकर्मी तथा अन्य विभागों के कर्मचारी जख्मी हुए थे। जिनमे चार की हालत बेहद नाजुक थी, जिन्हे जबलपुर रेफर किया गया। गोंगपा के आदोलन मे हुई खौफनाक आपराधिक वारदात मे पुलिस ने कई धाराओं मे प्रकरण दर्ज किया है। वीडियो फुटेज तथा अन्य तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा रही है। अब तक 47 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सूत्रों के मुताबिक करीब एक दर्जन आरोपी अभी भी पकड़े जाने हैं।