गुलामी का प्रतीक राजपथ अब कर्तव्यपथ

पीएम ने किया सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का उद्घाटन, कहा- हम कल की तस्वीर मे नए रंग भर रहे

नई दिल्ली। रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार शाम 8 बजे इंडिया गेट के सामने कर्तव्य पथ का उद्घाटन किया। वे शाम 7 बजे कर्तव्य पथ पहुंचे। सबसे पहले उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया। 19 महीने तक लगातार चले काम के बाद सेंट्रल विस्टा एवेन्यू बनकर तैयार हुआ है। PM मोदी ने कहा- आजादी के अमृत महोत्सव में, देश को आज एक नई प्रेरणा मिली है, नई ऊर्जा मिली है। आज हम गुजरे हुए कल को छोड़कर, आने वाले कल की तस्वीर में नए रंग भर रहे हैं। आज जो हर तरफ ये नई आभा दिख रही है, वो नए भारत के आत्मविश्वास की आभा है। उन्होंने कहा कि गुलामी का प्रतीक किंग्सवे यानी राजपथ, आज से इतिहास की बात हो गया है, हमेशा के लिए मिट गया है। आज कर्तव्य पथ के रूप में नए इतिहास का सृजन हुआ है। मैं सभी देशवासियों को आजादी के इस अमृतकाल में, गुलामी की एक और पहचान से मुक्ति के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

 हमने नेताजी को भुला दिया

आज इंडिया गेट के समीप हमारे राष्ट्र नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विशाल मूर्ति भी स्थापित हुई है। गुलामी के समय यहां ब्रिटिश राजसत्ता के प्रतिनिधि की प्रतिमा लगी हुई थी। आज देश ने उसी स्थान पर नेताजी की मूर्ति की स्थापना करके आधुनिक, सशक्त भारत की प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी है। सुभाष चंद्र बोस ऐसे महा मानव थे, जो पद और संसाधनों की चुनौती से परे थे। उनकी स्वीकार्यता ऐसी थी कि पूरा विश्व उन्हें नेता मानता था। उनमें साहस था, स्वाभिमान था। उनके पास विचार थे, विजन था। उनमें नेतृत्व की क्षमता थी, नीतियां थीं। अगर आजादी के बाद हमारा भारत सुभाष बाबू की राह पर चला होता तो आज देश कितनी ऊंचाइयों पर होता! लेकिन दुर्भाग्य से, आजादी के बाद हमारे इस महानायक को भुला दिया गया। उनके विचारों को, उनसे जुड़े प्रतीकों तक को नजरअंदाज कर दिया गया।  भारत के संकल्प और लक्ष्य अपने हैं। हमारे प्रतीक और पथ अपने हैं। आज राजपथ का अस्तित्व खत्म हुआ है तो ये गुलामी की मानसिकता का पहला उदाहरण नहीं है। राजपथ ब्रिटिश राज के लिए था, जिनके लिए भारत के लोग गुलाम थे। राजपथ की भावना भी गुलामी का प्रतीक थी, उसकी संरचना भी गुलामी का प्रतीक थी। आज इसका आर्किटैक्चर भी बदला है, और इसकी आत्मा भी बदली है। यह निरंतर चलने वाली संकल्प यात्रा है। देश के प्रधानमंत्री जहां रहते आए हैं। वह लोक कल्याण मार्ग हो चुका है। परेड में भारतीय संगीत बजता है। नौसेना ने गुलामी के प्रतीक को उतारकर छत्रपति के चिह्न को अपना लिया है। यह बदलाव प्रतीकों तक ही सीमित नहीं है।

सड़क के दोनों ओर बनेंगे शॉप

विस्टा यानी दिलकश नजारा। राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक राजपथ के इर्द-गिर्द का इलाका हरे-भरे पेड़ों, नहरों और पार्कों से घिरा है। ये पहले से खूबसूरत था, अब और भी दिलकश हो गया है।इंडिया गेट के दोनों तरफ नई शॉप बनी हैं, जिनमें अलग-अलग राज्यों के फूड स्टॉल होंगे। टूरिस्ट पहले की तरह अब लॉन में बैठकर घर से लाया खाना नहीं खा सकेंगे। इसके अलावा वेंडर भी खास जोन में ही स्टॉल लगा सकेंगे। दो नई पार्किंग में 1100 से ज्यादा गाड़ियां पार्क की जा सकेंगीं। निगरानी के लिए 300 से ज्यादा CCTV कैमरे लगाए गए हैं।

10 महीने देर से पूरा हुआ प्रोजेक्ट
सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (CPWD) ने सेंट्रल एवेन्यू रि-डेवलपमेंट के लिए जनवरी 2021 में 502 करोड़ रुपए का टेंडर निकाला था। यह काम 487.08 करोड़ रुपए की बिड पर शापूरजी पालोनजी कंपनी को मिला।कंपनी ने 4 फरवरी 2021 से यहां काम शुरू किया था। शर्तों के मुताबिक काम 300 दिनों के अंदर यानी नवंबर तक किया जाना था, लेकिन इसमें 10 महीने की देरी हो गई।कोरोना के दौरान लगे लॉकडाउन में सभी कंस्ट्रक्शन वर्क रुक गए थे, तब भी सेंट्रल विस्टा का काम चलता रहा। मामला कोर्ट में गया तो CPWD ने तर्क दिया था कि प्रोजेक्ट का काम नवंबर 2021 तक पूरा किया जाना है, इसलिए इसे रोका नहीं जा सकता। यहां गणतंत्र दिवस की परेड भी होनी है। उसमें भी देरी नहीं की जा सकती।

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