गुलामी का नही योद्धाओं का इतिहास

पीएम ने कहा-जानबूझकर विदेशी एजेंडा बढ़ाने का हुआ काम, हम गलतियां सुधार रहे
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत के इतिहास को दबाया गया। पहले जानबूझकर विदेशी एजेंडा बढ़ाने का काम किया गया। भारत का इतिहास, सिर्फ गुलामी का इतिहास नहीं है। यह योद्धाओं का इतिहास है। अत्याचारियों के विरूद्ध अभूतपूर्व शौर्य और पराक्रम दिखाने का इतिहास है। हम इन गलतियों को सुधार रहे हैं। पीएम ने कहा कि दुर्भाग्य से हमें आजादी के बाद भी वही इतिहास पढ़ाया जाता रहा, जो गुलामी के कालखंड में साजिशन रचा गया था। आजादी के बाद जरूरत थी हमें गुलाम बनाने वाले विदेशियों के एजेंडों को बदला जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। देश के हर कोने में मां भारती के वीर बेटे-बेटियों ने कैसे आतताइयों का मुकाबला किया, अपना जीवन समर्पित कर दिया। इसे जानबूझकर दबा दिया गया। मोदी शुक्रवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में असम के वीर सपूत लचित बरफुकान की ४००वीं जयंती कार्यक्रम के समापन समारोह में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने सेनापति लचित के योगदान को याद किया और देश के इतिहास को लेकर अपनी बातें रखीं।
सेनापति लचित के साहस को सराहा
पीएम ने कहा कि मैं असम की धरती को प्रणाम करता हूं, जिसने लचित जैसे वीर दिए। वीर लचित ने अपने जीवन में खूब साहस और वीरता दिखाई है। असम की धरती इसकी गवाह रही है। उन्होंने आगे कहा कि अगर कोई तलवार के जोर से हमें झुकाना चाहता है, हमारी पहचान को बदलना चाहता है तो हमें उसका जवाब भी देना आता है। लचित बरफुकन का जन्म २४ नवंबर १६२२ को हुआ। वे अहोम साम्राज्य के प्रसिद्ध सेनापति थे। लचित को पूर्वोत्तर का शिवाजी भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने शिवाजी की तरह मुगलों को कई बार रणनीति से हराया था। मुगलों को हराने वाले लचित की याद में हर साल असम में २४ नवंबर को लचित दिवस मनाया जाता है।
कोई भी रिश्ता देश से बड़ा नहीं होता
पीएम मोदी ने कहा कि सेनापति लचित का जीवन प्रेरणा देता है कि हम परिवारवाद से ऊपर उठ देश के बारे में सोचें। उन्होंने कहा था कि कोई भी रिश्ता देश से बड़ा नहीं होता। प्रधानमंत्री ने कहा कि लचित का जीवन हमें प्रेरणा देता है कि हम व्यक्तिगत स्वार्थों को नहीं देश हित को प्राथमिकता दें। इतिहास को लेकर, पहले जो गलतियां हुई हैं। अब देश उनको सुधार रहा है। जब किसी बाहरी ताकत से अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचाने की बात आती है तो भारत का हर युवा योद्धा होता है।
कांग्रेस की शह पर होती थी सांप्रदायिक हिंसा:शाह
गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान शुक्रवार को २००२ का साल याद दिलाया। शाह ने खेड़ा की एक रैली में कहा- १९९५ से पहले जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी, तब असामाजिक तत्वों के हौसले बुलंद थे। २००२ में हमने उन्हें ऐसा सबक सिखाया कि वे हिंसा करना भूल गए। इसके बाद भाजपा ने पूरे गुजरात में स्थायी शांति ला दी। शाह ने कहा- गुजरात में सांप्रदायिक दंगों को भड़काने का काम कांग्रेस ने किया। मैं आज भरूच जिला में हूं। मैंने यहां बहुत दंगे देखे हैं। २००२ में इन्होंने हिंसा करने की हिम्मत की थी, इनको ऐसा पाठ पढ़ाया, चुन-चुन कर सीधा किया। जेल में डाला तो उसके बाद से २२ साल हो गए, कहीं कफ्र्यू नहीं लगाना पड़ा। शाह ने आगे कहा कि कांग्रेस राज्य में दंगे करवाकर अलग-अलग समुदाय और जाति के लोगों को एक-दूसरे से लड़ने के लिए भड़काती थी। कांग्रेस अपने वोट बैंक के लिए लोगों को हिंसा करने के लिए शह दिया करती थी। कांग्रेस ने सिर्फ अपने वोट बैंक को मजबूत किया और समाज के एक बड़े वर्ग के साथ अन्याय किया। शाह ने कहा- अपराधियों को कांग्रेस से लंबे समय तक समर्थन मिलने के कारण हिंसा करने की आदत हो गई थी। गुजरात में जब कांग्रेस का शासन था तो यहां इज्जू शेख, पीरजादा और लतीफ जैसे दादा हुआ करते थे। लेकिन, आज गुजरात के गांवों में अगर कोई एक दादा है तो वे हैं हनुमान दादा। बाकी कोई नहीं।

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