गावों मे भी लेनी होगी मकान बनाने की मंजूरी

किया जा रहा ड्रोन सर्वे, संपत्तियों का डाटा तैयार करने की कवायद
बांधवभूमि, उमरिया
जिले का राजस्व विभाग इन दिनो ग्रामीण अंचलों मे बने आवासों का डाटा संकलित करने मे जुटा हुआ है। इसके लिये विभागीय अमला सर्वे ऑफ इण्डिया के कर्मचारियों के सांथ गांव-गांव जा कर ड्रोन से सर्वे कर रहा है। इस प्रक्रिया के दौरान संबंधित रिहायशी मकानो के पास चूने की मार्किग कर फोटो खींची जा रही है। बताया गया है कि सारी कवायद के बाद प्रत्येक गांव का नक्शा तैयार होगा। जिसके प्रकाशन के सांथ ही दावा-आपत्तियां आमंत्रित की जायेंगी। जिनका निराकरण संबंधित तहसीलदार करेंगे। इस प्रक्रिया के बाद मैप को अंतिम रूप दिया जायेगा।
आबादी मद मे होना चाहिये घर
अधिकारियों ने बताया कि सर्वे मे पट्टे अथवा आबादी मद मे दर्ज भूमि पर बने मकान मालिकों को वैद्य दस्तावेज प्रदान किये जायेंगे। जिसका उपयोग वे बैंक लोन आदि कार्यो मे कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त शासकीय भूमि पर बने भवनो को अतिक्रमण की श्रेणी मे माना जायेगा, जिन पर नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।
पंचायतें वसूलेंगी संपत्ति कर
वहीं जानकार इस पूरी कसरत के कई मायने निकाल रहे हैं। उनका मानना है कि सरकार ग्राम पंचायतों की आय बढ़ाने के साधन तलाश रही है। इसी के तहत शहरों की तर्ज पर गावों मे भी संपत्ति तथा सफाई कर वसूले जाने की तैयारी की जा रही है। पंचायतों को इसके अधिकार भी दिये जा चुके हैं। इतना ही नहीं अब गांव मे मकान बनाने के लिये पंचायतों से मंजूरी लेनी होगी। शासन की मंशा है कि ग्राम पंचायत लोगों से मिलने वाली राशि का उपयोग गावों के विकास मे करे और सरकार पर उसकी निर्भरता कम हो।
गले न पड़ जाय कौतूहल
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक करकेली एवं पाली तहसीलों मे सर्वे का कार्य पूर्ण किया जा चुका है। वर्तमान मे बांधवगढ़ ब्लाक अंतर्गत उक्त कार्यवाही की जा रही है। जिसके बाद मानपुर मे ड्रोन से सर्वे कर नक्शे तैयार करने का काम शुरू होगा। सवे कार्य मे जिस तरह आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जा रहा है, वह ग्रामीणो के लिये कौतूहल का विषय बना हुआ है। लोगों की चिंता है कि यह कौतूहल कहीं उन्हीे के गले न पड़ जाय।
लोगों पर पड़ेगा आर्थिक भार
बताया जाता है कि सर्वे तथा संपत्ति का रिकार्ड संधारित होने के बाद पंचायतों द्वारा ग्रामीणो से कर संग्रह करना संभव होगा। इसी आमदनी से पंचायतें नागरिकों को बेहतर सुविधायें दे सकेंगी। मानचित्र व रिकार्ड के आधार पर ग्राम पंचायतें भवन निर्माण की मंजूरियां जारी करनेें तथा अवैध कब्जे हटाने की कार्यवाही करने मे सक्षम हो सकेंगी। हलांकि नई व्यवस्था का पूरा भार वहां के बाशिंदों पर पड़ेगा। जो पहले से ही आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं।

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