पेट का इलाज कराने 10 दिन पहले अस्पताल पहुंचे; वहीं कोरोना हुआ, फिर कार्डियक अरेस्ट
मुंबई ।मशहूर सिंगर भूपिन्दर सिंह का सोमवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे 82 साल के थे। भूपिंदर की पत्नी मिताली के मुताबिक, मंगलवार को भूपिंदर का अंतिम संस्कार होगा। उन्हें पेट की बीमारी थी। क्रिटिकेयर एशिया हॉस्पिटल के डॉयरेक्टर डॉ. दीपक नामजोशी ने कहा- भूपिंदर को 10 दिन पहले अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उनके पेट में इंफेक्शन था। इसी दौरान उन्हें कोरोना भी हो गया। सोमवार सुबह उनकी हालत बिगड़ गई। उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ और शाम 7:45 बजे उनका निधन हो गया।
भूपिन्दर के पिता भी संगीतकार थे
भूपिन्दर सिंह का जन्म पंजाब प्रान्त की पटियाला रियासत में 8 अप्रैल 1939 को हुआ था। उनके पिता प्रोफेसर नत्था सिंह पंजाबी सिख थे। वे बहुत अच्छे संगीतकार थे, लेकिन मौसिकी सिखाने के मामले में बेहद सख्त उस्ताद थे। अपने पिता की सख्त मिजाजी देखकर शुरुआती दौर में भूपिन्दर को संगीत से नफरत सी हो गई थी। एक वह भी जमाना था, जब भूपिन्दर को संगीत को बिल्कुल पसंद नहीं था।
भूपिन्दर सिंह का जन्म पंजाब प्रान्त की पटियाला रियासत में 8 अप्रैल 1939 को हुआ था। उनके पिता प्रोफेसर नत्था सिंह पंजाबी सिख थे। वे बहुत अच्छे संगीतकार थे, लेकिन मौसिकी सिखाने के मामले में बेहद सख्त उस्ताद थे। अपने पिता की सख्त मिजाजी देखकर शुरुआती दौर में भूपिन्दर को संगीत से नफरत सी हो गई थी। एक वह भी जमाना था, जब भूपिन्दर को संगीत को बिल्कुल पसंद नहीं था।
गुलजार के पसंदीदा गायकों में शुमार
मशहूर गीतकार और फिल्मकार गुलजार के पसंदीदा गायकों में शुमार भूपिंदर ने अमूमन उनकी हर फिल्म के लिए अपनी मखमली आवाज दी। सुरेश वाडेकर के साथ गाया उनका मशहूर गीत, ‘हुजूर इस कदर भी न इतरा के चलिए’ आज भी महफिलों की जान होता है।
मशहूर गीतकार और फिल्मकार गुलजार के पसंदीदा गायकों में शुमार भूपिंदर ने अमूमन उनकी हर फिल्म के लिए अपनी मखमली आवाज दी। सुरेश वाडेकर के साथ गाया उनका मशहूर गीत, ‘हुजूर इस कदर भी न इतरा के चलिए’ आज भी महफिलों की जान होता है।
गुलजार साहब ने एक बार कहा था- भूपिंदर की आवाज ऐसी है, जैसे किसी पहाड़ी से टकराने वाली बारिश की बूंदें। वो तन और मन का तरोताजा कर देती है। आत्मा तक सीधे पहुंचती है।भूपिंदर और पत्नी मिताली की गाई गजल, ‘राहों पर नजर रखना-होंठो पर दुआ रखना, आ जाए कोई शायद दरवाजा खुला रखना’ ऑलटाइम फेवरेट गजल्स में से एक थी। भूपिंदर और मिताली के कई एलबम्स आए। इसमें से शाम-ए-गजल सबसे मशहूर रहा।करोगे याद तो हर बात याद आएगी और कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता… उनके सुपरहिट सॉन्ग्स रहे। गुलजार साहब ने एक बार कहा था- भूपिंदर की आवाज ऐसी है, जैसे किसी पहाड़ी से टकराने वाली बारिश की बूंदें। वो तन और मन का तरोताजा कर देती है। उनकी मखमली आवाज आत्मा तक सीधे पहुंचती है।
बांग्लादेश की हिंदू गायिका मिताली से की थी शादी
1980 के दशक में भूपिंदर सिंह ने बांग्लादेश की हिंदू गायिका मिताली सिंह से शादी की थी। उसके बाद प्लेबैक सिंगिग छोड़ दी थी। मिताली-भूपेन्द्र दोनों ने मिलकर कई अच्छे कार्यक्रम पेश किए और खूब नाम कमाया। उनका एक बेटा निहाल सिंह भी है जो संगीतकार हैं।
1980 के दशक में भूपिंदर सिंह ने बांग्लादेश की हिंदू गायिका मिताली सिंह से शादी की थी। उसके बाद प्लेबैक सिंगिग छोड़ दी थी। मिताली-भूपेन्द्र दोनों ने मिलकर कई अच्छे कार्यक्रम पेश किए और खूब नाम कमाया। उनका एक बेटा निहाल सिंह भी है जो संगीतकार हैं।
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