गर्मी और उमस से हलाकान लोग

42 के आसपास टंगा जिले का तापमान, बारिश मे देरी से बढ़ती जा रही बेचैनी
बांधवभूमि, उमरिया
जिले मे पड़ रही भीषण गर्मी और उमस से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। आलम यह है कि बीते लगभग एक सप्ताह से तापमान 40 से 42 के आसपास टंगा हुआ है। शनिवार को पारा 42 पर पहुंच गया, जबकि रविवार को यह थोड़ा गिर कर 41 डिग्री दर्ज हुआ। उल्लेखनीय है कि गर्मी और लू के लिये जाना जाता मई का महीना इस बार अपेक्षाकृत ठण्डा रहा। मई मे रह-रह कर बारिश होती रही। वहीं कई जगहों पर हुई ओलावृष्टि और बज्रपात से भारी नुकसान भी हुआ। उसी समय यह अंदेशा लगाया जा रहा था कि इस बार जून का महीना काफी गर्म रहेगा, वहीं मानसून मे भी देरी हो सकती है। मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी के ऊपर हवा के कम दबाव का क्षेत्र निर्मित होने के कारण हवाओं की दिशा बदलने से पारे मे कुछ गिरावट जरूर आई है, लेकिन बादलों और नम हवाओं से उमस बढ़ गई। जिससे लोगों को बेचैनी हो रही है। भीषण गर्मी से न दिन में चैन है, न रात मे सुकून। वहीं उमस व गर्म हवाओं ने पंखे और कूलर को बेदम कर दिया है। इस मुसीबत से निजात पाने के लिये लोगों को अब मानूसन का बेसब्री से इंतजार है।
15 तक मुंबई पहुंचेगा मानसून
मौसम के जानकारों का मानना है कि उमरिया के सटे जबलपुर आदि शहरों मे शनिवार की देर रात और रविवार की दोपहर हुई हल्की बारिश के बाद उमस ने तेजी से बढ़ी है। उनका कहना है कि बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी भरी हवाओं के बीच मानसून पूरे केरल मे छा चुका है और 15 जून तक यह मुम्बई को टच कर जाएगा। हवा के कम दबाव का क्षेत्र बनने से अगले दो तीन दिनों तक बादल और पानी की संभावना बनी रहेगी।
बिजली जाते ही सूखती है जान
गर्मी के इस दौर मे बिजली की आवाजाही से तकलीफ कई गुना बढ़ जाती है। जिला मुख्यालय मे कुछ महीनो से फाल्ट के कारण बार-बार आपूर्ति बाधित होने की शिकायतों मे वृद्धि हुई है। रविवार की रात और सुबह भी कई बार बिजली बंद हुई। लाईट जाते ही लोगों को सफोकेशन सा होने लगता है। ऐसे मे एक पल भी काटना दूभर हो जाता है। बताया गया है कि जिले के ग्रामीण अंचलों मे बिजली के और भी बुरे हालात हैं, जहां जरा सी हवा चलते ही सप्लाई घंटों के लिये चली जाती है। इस मामले मे विभाग के सूत्रों ने बताया कि मेंटीनेंस का कार्य आऊट सोर्स के कर्मचारियों के मत्थे है, वहीं उपकरणो की कमी बनी हुई है। जिसकी वजह से यह समस्या आ रही है।
इस बार झमाझम जरूरी
जिले मे अधिकांश नदी, नाले और तालाब सूख चुके हैं, वहीं कुओं तथा नलकूपों का जलस्तर तेजी से पाताल की ओर जा रहा है। ऐसे मे इस बार झमाझम बारिश की दरकार है। किसानो ने बताया कि विगत कई वर्षो से पर्याप्त बारिश नहीं होने से प्रमुख जलाशय पूरी तरह से नहीं भर पा रहे हैं। जिसकी वजह से फसलों के लिये सिचाई का पानी पहले ही चूक जाता है। उमरिया के आसपास के दर्जनो गावों के खेतों की सिचाई सांथ शहर को पेयजल आपूर्ति करने वाले उमरार जलाशय की हालत तो और भी खराब है। जिस पर अब आकाश कोट के गावों तक पानी पहुंचाने का दारोमदार भी मढ़ दिया गया है। इन सभी समस्याओं का एक ही हल है कि इस बार अच्छी बारिश हो, अन्यथा लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *