खदानों मे हो रही सुरक्षा की अनदेखी

कोयला कामगारों के प्रति बरती जा रही लापरवाही, हो चुकी हैं कई घटनायें
बांधवभूमि, उमरिया। एसईसीएल जोहिला एरिया मे कोयला कर्मचारियों की सुरक्षा पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जबकि सुरक्षा सप्ताह के नाम पर हर साल लाखों रूपये फूंक दिए जाते हैं। खदान के अंदर काम करने वाले श्रमिक बताते हैं कि रूफ सपोट और कई तरह की लापरवाही खदान के अंदर बरती जा रही है। जिसकी वजह से पहले भी खदानों के अंदर घटनाएं हो चुकी हैं। खदानों के अंदर तो लापरवाही बरती ही जाती है साथ ही कोयला सायडिंग मे भी लापरवाही देखने को मिलती है जहां कोयले की छंटाई और ओवर लोडिंग की जा रही है।
चोरी के लिए उठा रहे खतरा
एसईसीएल जोहिला क्षेत्र की न सिर्फ बंद पड़ी खदानों मे कोयला चोर सेंध लगा रहे हैं बल्कि चल रही खदानें भी सुरिक्षत नहीं हैं। खदानों में मिडिल मेन का वर्चस्व है और उनके इशारे पर बड़े-बड़े खेल हो रहे हैं। पिछले कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने एक आदेश जारी करके कहा था कि खदानों से न तो रोड सेल मे और न ही साइडिंग के लिए ओवर लोड कोयला दिया जाए। जिन ट्रकों मे पासिंग के अलावा ऊंची बॉडी लगाई गई है उन ट्रकों मे लोड देने से साफ तौर से मना किया गया था। इतना ही नहीं अनफिट ट्रकों को भी लोड नहीं देने की बात कई बार कही जा चुकी है इसके बाद भी कॉलरी के अधिकारी न जाने क्यों बिचौलियों के सामने नतमस्तक रहते हैं और उनके अनुसार ही खदान परिसर में सब कुछ संचालित होता है।
बाबुओं की मिली भगत
बंद खदानों से तो कोयला चोरी करने के लिए मजदूरों को खदानों के अंदर उतरना होता है जबकि चालू खदान से कोयला चोरी करने मे कोई परेशानी नहीं हो रही है। कांटाघर के बाबुओं की मिली भगत से यह पूरा खेल हो रहा है। जब खाली ट्रकों का वजन किया जाता है तब कई मजदूरों को ट्रकों पर पहले से चढ़ा दिया जाता है। इसके बाद उन्हें उतारकर कोयला लोड किया जाता है और जितने आदमी उतरे उतना ज्यादा कोयला ले लिया जाता है। हाल ही मे सब एरिया मैनेजर ने भी यह सब देखा था लेकिन इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। अतिरिक्त कोयले के लिए पिछले दिनों कुछ लोगों के बीच विवाद भी हो गया था।
हो सकती है दुर्घटना
स्टीम कोयला छांटने के लिए मजदूर कितना जोखिम उठा रहे हैं इसे मौके पर ही देखा जा सकता है। जहां कोयले की छंटाई होती वहीं मशीनों से कोयला लाकर भी डंप किया जा सकता है। इससे कभी भी यहां कोई बड़ा हादसा हो सकता है। हालांकि इस जोखिम से मजदूर कॉलरी प्रबंधन दोनों की वाकिफ हैं लेकिन इसके बाद भी खतरा उठाया जा रहा है जिसकी वजह अतिरिक्त लाभ के अलावा कुछ और नहीं है। जिस तरह से यहां यह काम चल रहा है उसे देखते हुए स्पष्ट है कि उसे रोकने की भी कोई चिंता अधिकारियों को नहीं है।
खुले मिले थे मुहाड़े
एसईसीएल जोहिला एरिया की जिन बंद खदानों के मुहाड़े कुछ समय पहले प्रशासन और पुलिस ने बंद कराए थे वे जनवरी मे भी खुले पाए गए थे। खबर के प्रकाश के बाद जब नौरोजाबद पुलिस आठ नंबर बंद खदान के मुहाड़े के पास पहुंची थी तो पाया गय कि खदान का वह मुहाड़ा खुला हुआ है जिसे कुछ समय पहले बंद कराया गया था। टीआई डॉ ज्ञानेन्द्र सिंह ने मौके पर ही खदान के खोले गए मुहाड़े को एक बार फिर बंद कराने की प्लानिंग की थी और तय किया कि किस तरह से इस मुहाड़े को बंद करके मजदूरों को अंदर घुसने से रोका जा सकता है। उस समय मुहाड़ा फिर बंद कराया गया था जो एक बार फिर खुल चुका है।

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