कोर्ट के फैंसलों का चुनाव पर असर

नये साल मे 10 राज्यों के चुनाव, सरकार के निर्णय भी रहेंगे कसौटी पर

नई दिल्ली।नए साल में 10 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें लोकसभा की 93 सीटें आती हैं, जो कुल सीटों का 17% है। इनके अलावा सुप्रीम कोर्ट में आठ ऐसी याचिकाओं पर फैसला आना है, जिनका डायरेक्ट या इनडायरेक्ट असर 2024 के लोकसभा चुनाव पर हो सकता है।जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने हैं। यहां के नतीजों से केंद्र की तरफ से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को सही या गलत साबित करने की राय बनेगी। जम्मू-कश्मीर के मौसम को देखते हुए वहां विधानसभा चुनाव अगली गर्मी में ही कराए जाने के आसार हैं।2023 में देश के 10 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे बड़े राज्य शामिल हैं। वहीं पूर्वोत्तर के त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम में भी इसी साल चुनाव होंगे। जम्मू-कश्मीर में भी इसी साल चुनाव के पूरे आसार हैं।

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों का परिसीमन

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट अगले एक-दो महीने में फैसला दे सकता है। श्रीनगर के हाजी अब्दुल गनी खान और मोहम्मद अयूब मट्टू ने याचिका में कहा था कि परिसीमन में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। इधर केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और चुनाव आयोग ने इन आरोपों को गलत बताया था।कोर्ट ने इस पर 1 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। आने वाले साल में कोर्ट का आदेश का असर पूरे राज्य की विधानसभा और लोकसभा सीटों का अंतिम रूप तय करेगा।

कर्नाटक हिजाब विवाद में बड़ी बेंच देगी फैसला

2022 की शुरुआत में कर्नाटक के उडुपी में हिजाब पहनकर आई छात्राओं को कॉलेज क्लास में नहीं घुसने दिया गया था। कहा गया कि हिजाब ड्रेस कोड का हिस्सा नहीं है। मुस्लिम समुदाय ने इसका विरोध किया। मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कर्नाटक हाईकोर्ट ने कॉलेजों में हिजाब बैन के राज्य सरकार के फैसले को सही बताया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इस पर मतभेद थे।सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हेमंत गुप्ता ने यह केस 9 जजों की बड़ी बेंच के पास भेजने की राय दी थी। कोर्ट आने वाले साल में इस पर फैसला सुना सकता है। इस फैसले से देशभऱ के मुस्लिम समुदाय की परंपराओं पर असर की बात कही जा रही है।

 प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट में बदलाव की मांग

ज्ञानवापी, मथुरा, ताजमहल और कुतुब मीनार को लेकर विवाद जारी है। अब विवादित प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल की है। स्वामी ने कहा है कि उन्होंने पूरे एक्ट को चुनौती नहीं दी है, बल्कि केवल दो मंदिरों को इसके दायरे से बाहर रखने की मांग की है।स्वामी ने अपनी याचिका पर अलग से सुनवाई अपील की है, जिस पर कोर्ट जल्द ही इस पर फैसला ले सकता है। एक्ट में बदलाव पर अदालत के फैसले से देश में मंदिर-मस्जिद विवाद पर नई बहस शुरू हो सकती है।देश के मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में ज्यादा पारदर्शिता लाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट को फैसला देना है। इसको लेकर दायर याचिका में कहा गया है कि इस संवैधानिक पद पर सीधे सरकार की तरफ से नियुक्ति करना सही नहीं है। याचिका में मांग की गई है कि चुनाव आयुक्त का चयन भारत के चीफ जस्टिस (CJI), PM और नेता विपक्ष की कमेटी को करना चाहिए।केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को दाखिले और नौकरियों में 10% आरक्षण (EWS कोटा) का प्रावधान किया है। तमिलनाडु की सत्ता में काबिज द्रविड़ मुनेत्र कझगम (DMK) ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल कर कहा है कि इस आधार पर जिन्हें रिजर्वेशन दिया जा रहा है, वे कभी सोशल इनजस्टिस का शिकार नहीं हुए।पहले जब सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को चुनौती दी गई थी, तो पांच जजों की संविधान पीठ ने तीन-दो के बहुमत से इसे बरकरार रखा। ताजा याचिका पर आने वाले साल में फैसला आ सकता है, जिसका असर देशभर में आर्थिक रूप से कमजोर आबादी पर होगा।क्या जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों को संवेदनशील मामलों में बेतुकी बयानबाजी से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट को दिशा निर्देश बनाने चाहिए? कोर्ट की संविधान पीठ ने इस पर आदेश सुरक्षित रखा है। दरअसल, 2016 में बुलंदशहर गैंग रेप केस में UP के तत्कालीन मंत्री आजम खान की बयानबाजी के बाद इस मामले की शुरुआत हुई थी।

नोटबंदी सही या गलत, संविधान पीठ पर निगाहें

2016 में हुई नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट अगले साल फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को नोटबंदी के फैसले से जुड़ी प्रक्रिया के दस्तावेज सौंपने को कहा था। कोर्ट की संविधान पीठ 7 दिसंबर को इस केस की सुनवाई पूरी कर चुकी है। इस मामले पर अदालत का फैसला सरकार के फैसले का सही या गलत साबित करेगा।

मुकदमे में नए आरोपी जोड़ने की प्रोसेस पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट को आपराधिक मुकदमों पर भी एक अहम आदेश देना है। इस फैसले में निचली अदालतों को मुकदमे में नए आरोपी जोड़ने का अधिकार देने वाली CRPC की धारा 319 की व्याख्या होनी है। संविधान पीठ को यह तय करना है कि क्या आपराधिक मुकदमे यानी क्रिमिनल केस में आरोपियों को दोषी ठहराए जाने के बाद भी किसी नए व्यक्ति को आरोपी बनाया जा सकता है?

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