कोच एडजस्टमेंट करने थमाया ट्रेन का झुनझुना
नागपुर-जबलपुर गाड़ी को लेकर क्षेत्र मे निराशा, टाईमिंग पर भी उठ रहे सवाल
बांधवभूमि, उमरिया
रेलवे द्वारा विगत दिनो शहडोल से नागपुर के बीच ट्रेन चलाये जाने की घोषणा से जनता मे उठी खुशी की लहर इसके तौर तरीके को देखने के बाद काफूर हो गई है। लोग अब इसे महज चुनावी लॉलीपाप की संज्ञा दे रहे हैं। उनका कहना है कि रेलवे ने किसी ट्रेन का रैक एडजस्ट करने के लिये यह औपचारिकता की है। क्षेत्र के लोग ट्रेन के टाईम टेबल भी सवाल उठा रहे हैं। यात्रियों के मुताबिक यह गाड़ी शहडोल से सुबह 11.45 बजे खुल कर आधी रात 12.20 बजे नागपुर पहुंचेगी। इससे पूरा दिन सफर मे ही चला जायेगा। वहीं नागपुर से यह शाम 6.30 बजे रवाना होगी। कुल मिला कर दोनो तरफ से ट्रेन का समय बेहद असुविधाजनक है। नियमित रूप से इलाज के लिये नागपुर जाने वाले मरीजों व उनके परिजनो का कहना है कि डाक्टरों से मिलने के लिये अस्पतालों मे सुबह नंबर लगता है। जिसके बाद जांच आदि शुरू होती है। सारा काम निपटने मे शाम हो जाती है। ऐसे मे ट्रेन के छूटने का समय दोनो ओर से 8 बजे के बाद का होना चाहिये, वरना इसका कोई मतलब नहीं है।
औचित्यहीन सेवा
गौरतलब है कि संभाग के लोग इलाज के लिये नागपुर जाना ज्यादा पसंद करते हैं। लिहाजा वर्षो से अनूपपुर या शहडोल से वाया कटनी एक ट्रेन चलाने की मांग की जा रही थी। रेलवे ने बीते 11 अगस्त को शहडोल से नागपुर के बीच सप्ताह मे एक दिन के लिये ट्रेन चलाने का आदेश जारी कर दिया। सूत्रों की माने तो सप्ताह मे एक दिन खाली रहने वाले किसी गाड़ी के रैक का इस्तेमाल करने के लिये आनन-फानन मे ट्रेन संचालित करने का निर्णय लिया गया है। जिसका कोई औचित्य नहीं है।
बस से जाते कई यात्री
बताया गया है कि कुछ समय से शहडोल-नागपुर के बीच बस सेवा भी प्रारंभ की गई है, जिसके जरिये कई यात्री रोजाना आवागमन कर रहे हैं। हलांकि बुजुर्ग या गंभीर किस्म के रोगियों के लिये सड़क मार्ग से इलाज के लिये जाना काफी कष्टप्रद है। ऐसे लोग या तो कटनी या बिलासपुर से नागपुर जाते हैं। रेलवे द्वारा शहडोल से ट्रेन चलाने की घोषणा पर संभाग के लोगों ने राहत महसूस की थी, लेकिन उन्हे समझ आ गया है कि इस सेवा का कोई मतलब नहीं है।
कई विकल्प उपलब्ध
जानकारों का मानना है कि यदि प्रभावी पहल की जाय तो क्षेत्र को नागपुर के लिये उपयोगी सेवा मिल सकती है। पहला विकल्प नई ट्रेन का समय सही कर इसे रोजाना संचालित करने का है। यदि इसमे कोई अड़चन हो तो अंबिकापुर-जबलपुर को नागपुर तक बढ़ाया जा सकता है। रीवा-इतवारी ट्रेन को भी तीन दिन वाया शहडोल चलाया जा सकता है। इससे पहले संभाग के लोगों ने भोपाल-बिलासपुर गाड़ी, जो सुबह 3 बजे बिलासपुर पहुंच जाती है, को नागपुर तक बढ़ाये जाने की मांग की थी, उसे भी अमली जामा पहना कर यात्रियों को राहत दी जा सकती है।
अपने-आप बंद हो जायेगी गाड़ी
सूत्रों का दावा है कि शहडोल-नागपुर गाड़ी चुनावी जुमले से ज्यादा कुछ भी नहीं है। सप्ताह मे मात्र एक दिन चलने और औलट टाईम होने के कारण इसे यात्री मिलना मुश्किल है। ऐसी स्थिति मे रेलवे को इसका संचालन बंद करने का बहाना मिल जायेगा।