नई दिल्ली। कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार को खरी-खरी सुनाई है। सोमवार को मामले पर सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि मोदी सरकार राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) के रद्द किए जाने से नाखुश है। केंद्र जजों की नियुक्ति पर बैठी रहेगी तब सिस्टम कैसे काम करेगा। हमें न्यायिक पक्ष पर फैसला करने को विवश ना करें। अदालत ने एजी और एसजी को कहा कि वे सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए सलाह दें कि देश के कानून का पालन किया जाए। मामले में 8 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी। दरअसल कॉलेजियम प्रणाली न्यायाधीशों द्वारा ही न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रथा है और इस लेकर सरकार और शीर्ष अदालत में कुछ मतभेद हैं। केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने पिछले महीने कहा था कि देश के लोग कॉलेजियम प्रणाली से खुश नहीं हैं और संविधान की भावना के अनुसार न्यायाधीशों की नियुक्ति करना सरकार का काम है। भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश यू.यू. ललित ने हालांकि 13 नवंबर को कहा था कि कॉलेजियम प्रणाली में कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने कहा था ‘कॉलेजियम प्रणाली यहां मौजूद रहेगी और यह एक स्थापित मानदंड है जहां न्यायाधीश ही न्यायाधीश को चुनते हैं।
कॉलेजियम सिस्टम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सुनाई खरी-खोटी
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