मातृ मृत्यु दर के बढ़ते आंकड़े चिंता का विषय, लापरवाही बरत रहा विभाग
बांधवभूमि, उमरिया
कुपोषण और एनीमिया के कारण तमाम गर्भवती महिलाओं पर प्रसव के दौरान अथवा उसके बाद मौत का खतरा मंडरा रहा है। मातृ मृत्यु दर के बढ़ते आंकड़े चिंता का विषय हैं। स्वास्थ्य विभाग गर्भवती महिलाओं के पंजीयन तथा प्रसव पूर्व उनकी सेहत की निगरानी मे लापरवाही बरत रहा है। समय पर जांच व उपचार से वंचित महिलाओं को गर्भावस्था मे पोषण आहार भी नहीं मिल पाता है। सुरक्षित प्रसव को लेकर शासन की योजनाओं के लाभ से भी महिलाएं वंचित हैं। कई ऐसी योजनाएं हैं जिनका प्रचार तो खूब होता है लेकिन जिनका कोई भी लाभ महिलाओं को नहीं मिल पाता
पौने दो सौ से ज्यादा मातृ मृत्यु दर
उमरिया जिले मे मातृ मृत्यु दर का आंकड़ा काफी चौंकाने वाला है। उमरिया जिले मे प्रति वर्ष 185 महिलाओं की मौत का आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग के पास है। इतनी बड़ी संख्या मे अगर महिलाओं की प्रसव के दौरान या बाद मे मौत हो रही है तो यह चिंता का विषय है। इस मामले को लेकर पिछले दिनों हुई एक बैठक के दौरान कमिश्नर ने भी नाराजगी जताई थी और मतृत्व मृत्यु दर मे कमी लाने के निर्देश दिए थे। हालांकि जिले मे स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के बुरे हाल के कारण कमिश्नर के निर्देश का भी कोई असर नहीं हुआ और हालात जस के तस बने हुए हैं।
ज्यादातर महिलाओं की मौत
बताया गया है कि जिले मे ज्यादातर उन महिलाओं की मौत प्रसव के दौरान हो रही है जिनमें खून की कमी रहती है। चालीस किलो से कम वजन और कम लंबाई की कमजोर महिलाएं ज्यादातर मौत का शिकार बन रही हैं। जिले में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की कमी और स्वास्थ्य विभाग द्वारा एनीमिया की जांच के लिए प्रचार का अभाव इसका मुख्य कारण है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग लोगों को जागरूक नहीं कर पा रहा है जिसका परिणाम है कि कमजोर महिलाएं प्रसव के दौरान और प्रसव के बाद मौत के गाल में समा रही हैं।
चलाई जा रही हैं यह योजनाएं
महिला बाल विकास विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं को पोषण देने की व्यवस्था है। यह पोषण अहार पैकेट बंद होता है जो क्षेत्र के आंगनबाड़ी से महिलाओं को दिलाया जाता है। पहली बार गर्भवती होने वाली महिलाओं के लिए प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना है जिसके तहत पंजीकृत गर्भवती महिला को तीन चरणों मे पांच हजार रूपये प्रदान किया जाता है। सुरिक्षत प्रसव के लिए जननी सुरक्षा योजना है जिसके तहत महिलाओं को अस्पताल लेजाकर प्रसव कराया जाता है और उन्हें पोषण के लिए निर्धारित राशि भी उनके खाते में दी जाती है। यह योजनाएं तो हैं लेकिन इनका समय पर लाभ महिलाओं को नहीं मिल पाता जिससे उन्हें परेशानी हो जाती है।
इनका कहना है
जिले मे मातृत्व मृत्युदर को कम करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वे प्रसव के लिए महिलाओं को अस्पताल लेकर आएं। एनीमिया सहित सभी जांचों के बारे मे भी बताया जाता है।
डॉ आरके मेहरा,
सीएमएचओ उमरिया
कुपोषण व एनीमिया से गर्भवती महिलाओं की जान को खतरा
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