उमरार जलाशय मे सिर्फ 0.10 एमसीएम पानी बचा, बारिश नहीं हुई तो निर्मित होगा विकराल जल संकट
उमरिया। गर्मी के आखिर में शहर के लोग पानी के संकट से जूझने लगे हैं। पानी की समस्या तो पहले भी थी लेकिन अब यह बढ़कर इतनी ज्यादा हो गई है कि लोग पानी के लिए नगर पालिका के टैंकर पर निर्भर हो गए हैं। अगर टैंकर से पानी की सप्लाई न हो तो लोगों को पीने के लिए एक बूंद पानी नहीं मिल सकता। यह हाल इसलिए हुआ है क्योंकि जहां पानी सप्लाई के लिए पाइप लाइन नहीं थी और लोग सिर्फ कुओं पर ही निर्भर थे वहां के कुएं सूख चुके हैं। कुएं सूखने के कारण पानी की सप्लाई अब नगर पालिका ने टैंकर से शुरू की है।
यहां है ज्यादा संकट
सीएमओ शशिकपूर गढ़पाले ने बताया कि पूरे नगर मे पानी की समस्या है। नगर के कुछ हिस्सों मे पानी का संकट होने लगा है और वहां पानी के टैंकर भेजे जा रहे हैं। सीएमओ ने बताया कि नगर के विकटगंज, जेल के पीछे, छटन कैंप सहित कुछ हिस्सों मे पानी का संकट ज्यादा है। उन सभी स्थानों पर लोगों को टैंकर से पानी भेजा जा रहा है। हालांकि लोगों का कहना है कि टैंकर का पानी पर्याप्त नहीं रहता जिससे घर का सभी काम नहीं हो पाता है। चालीस से पचास लोगों की बस्ती में एक टैंकर पानी से लोगों का गुजारा नहीं हो पा रहा है।
उमरार मे नहीं पानी
जिला मुख्यालय और आसपास के क्षेत्र को वर्षो तक अपने जल से तृप्त करने वाला उमरार जलाशय भी इस बार सूखने की कगार पर है। हालत यह है कि मीलों तक फैली बांध की अथाह जल राशि सूख कर सिमट गई है और पानी तलहटी मे जा पहुंचा है। इतना ही नहीं कई मीटर गहराई मे समाये गांवों के अवशेष अब बाहर से ही दिखने लगे हैं। रही-सही कसर गर्मी ने पूरी कर दी है। बताया जाता है कि जलाशय का पानी दिन व दिन कम हो रहा है। यह हालत जिला मुख्यालय सहित उन दर्जनो गावों के लिये खतरे की घंटी है, जो उमरार पर आश्रित हैं। जलाशय सूखने से उमरार नदी के अस्तित्व पर खतरा बढऩे के साथ ही, कई गावों का जलस्तर भी पाताल छूने लगेगा।
1980 मे हुआ था लोकार्पण
उमरार जलाशय की कुल जल भराव क्षमता 16.70 एमसीएम है। आज की तारीख मे बांध मे सिर्फ 2.20 एमसीएम पानी शेष रह गया है, इसमे से छोडऩे लायक पानी महज 0.10 एमसीएम ही है। उल्लेखनीय है कि निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद वर्ष 1980 मे उमरार जलाशय का लोकार्पण हुआ था। इसमे अमड़ी और कारीमाटी ग्राम पूरी तरह से डूब गये थे, जबकि कुछ गावों का आंशिक हिस्सा जलभराव आदि अन्य क्षेत्रों मे प्रभावित हुआ था। इस बांध से नहर के द्वारा पानी ददरी, उमरिया शहर से लेकर कई ग्रामीण क्षेत्रों से होते हुए करीब 15 किलोमीटर दूर बसे खेरवा गांव तक पहुंचता है।
कैचमेंट एरिया मे बना डाले स्टापडेम
बताया जाता है कि बांध को इस तरह डिजाईन किया गया था कि शुरूआती दौर मे तीन-चार बार की बारिश से ही यह भर जाता था, परंतु कुछ वर्ष पूर्व भूमि संरक्षण विभाग द्वारा क्षरण रोकने के नाम पर बगैर सोचे समझे उमरार के कैचमेंट एरिया मे दर्जनो चेकडेम, स्टाप डेम बना डाले, जिससे भराव मे दिक्कत आने लगी।
मछड़ार को उमरार मे गिराने की दरकार
बांध के ऊपरी हिस्से मे हुए बेतहाशा निर्माण और बारिश मे आ रही कमी के कारण विगत कुछ सालों से उमरार मे जलभराव लगातार कम हुआ है। जिसे देखते हुए जिला प्रशासन की पहल पर तामन्नारा के पास स्थित मछड़ार नदी को उमरार मे गिराने की योजना बनाई गई थी। लेकिन आज तक इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। जानकारों का मानना है कि इस योजना को जल्द से जल्द क्रियान्वित कराने के सांथ ही कैचमेंट क्षेत्र मे बने स्टाप डेम और चेक डेम को हटाना अत्यंत जरूरी है, तभी उमरार नदी और बांध को बचाया जा सकता है।
कुएं सूखे, नगर मे टैंकर से हो रही पानी की सप्लाई
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