जिले मे बेअसर रहा भारत बंद, पूर्व की तरह खुले रहे व्यापारिक प्रतिष्ठान
उमरिया। कृषि कानूनो के विरोध मे किसान संगठनो द्वारा आयोजित भारत बंद जिले मे बेअसर रहा। खुद सब्जी उगा कर बेंचने वाले किसानो ने ही बंद का समर्थन नहीं किया। किसानो के अलावा आढ़त से सब्जियां खरीद कर बेचने वाले खुदरा दुकानदारों ने हमेशा की तरह दिन भर व्यापार किया। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार द्वारा लाये गये कृषि कानूनो के विरोध मे विभिन्न प्रांतों के किसान पिछले कई दिनो से दिल्ली व अन्य शहरों मे आंदोलन कर रहे हैं। कानूनो को वापिस लेने अथवा इनमे संशोधन की मांग को लेकर किसान संगठनो ने कल भारत बंद का आहवान किया था। इस बंद को मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सहित सभी विरोधी दलों द्वारा समर्थन देने की घोषणा की गई थी।
भाजपा ने जताया आभार
भारत बंद मे सहयोग नही देने और अपने प्रतिष्ठान पूर्ववत खोलने पर भाजपा ने जिले के समस्त व्यापारियों के प्रति आभार व्यक्त किया है। पार्टी के जिलाध्यक्ष दिलीप पाण्डेय ने कहा कि बंद से बाहर रह कर व्यापारियों ने केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की शिवराज सरकार का मान रखा है। इससे साबित होता है कि जनता कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की असलियत को जान चुकी है। यह वही कांग्रेस है जो यूपीए सरकार के कार्यकाल मे कृषि सुधार की बात करती थी, अब जबकि वही कार्य उससे बेहतर तरीके से मोदी सरकार ने किया तो वह इसका विरोध कर रही है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि देश का किसान जागरूक, सक्षम और तटस्थ है वह किसी के बरगलाने मे आने वाला नहीं है। अन्नदाता सशक्त राष्ट्र निर्माण मे अपनी महती भूमिका अदा कर रहा है। केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार किसानों को शक्तिशाली बना कर भारत को विश्व गुरु बनाने के प्रति संकल्पित है।
खेती भी छीनना चाहती है मोदी सरकार
कृषि कानूनो के विरोध मे कांग्रेस ने सौंपा ज्ञापन, तत्काल वापस लेने की मांग
कांग्रेस ने केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषि कानूनों के विरोध मे किसानो के भारत बंद का समर्थन करने के साथ ही इन्हे तत्काल वापस लेने की मांग को लेकर महामहिम राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा गया। ज्ञापन मे केन्द्र की मोदी सरकार पर पूंजीपतियों से मिलीभगत और किसानो के हांथ से खेती-किसानी छीनने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। इस मौके पर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजेश शर्मा ने कहा कि जब देश के किसी किसान ने कोई मांग ही नहीं की फिर कृषि कानून क्यों बनाये गये, और यदि सरकार किसानो की इतनी हिमायती है तो किसानो के मुताबिक बिल मे संशोधन क्यों नहीं कर रही। दरअसल ये कानून प्रधानमंत्री के उद्योगपति मित्रों के इशारे पर कृषि क्षेत्र को हड़पने के लिये बनाये गये हैं। इसमे समर्थन मूल्य पर फसल खरीदी जारी रहने की कोई गारंटी नहीं है। कानून के प्रभावी होने से किसान का अनाज औने-पौने दामों मे खरीदने और मंडियों के समाप्त होने का रास्ता खुल जायेगा।
ये रहे उपस्थित
इस मौके पर ठाकुरदास सचदेव, अमृतलाल यादव, त्रिभुवन प्रताप सिंह, राजाराम राय, मयंक सिंह, जिला प्रवक्ता अशोक गौंटिया संतोष सिंह, पीएन राव, नासिर अंसारी, विजय कोल, वासुदेव उंटिया, शंकुतला धुर्वे, अब्बू सिंह, शिशुपाल यादव, राजीव सिंह, ओमप्रकाश सोनी, ताजेन्द्र सिंह, श्यामकिशोर तिवारी, चंदू राठौर, अयाज खान, कल्लू गुप्ता, संदीप यादव, धनप्रताप सिंह, राजेश सिंह, शिवरतन सेन, इशरत खान, एशोराम सिंह, किशोर सिंह, खुर्रम शहजादा, सतीष मिश्रा, शंकर सिंह, रामलखन यादव, राजेन्द्र महोबिया सहित बड़ी संख्या मे कांग्रेसजन उपस्थित थे।