किसानो को कंगाल बनाने की हो रही साजिश

केन्द्र के कृषि विधेयकों पर कांग्रेस ने उठाये सवाल, लगाये गंभीर आरोप
देश के सारे सरकारी उपक्रमो और नवरत्न कम्पनियों को तबाह करने के बाद केन्द्र मे बैठी भाजपा सरकार की कुदृष्टि अब कृषि क्षेत्र पर है, इसीलिये आनन-फानन मे बगैर किसी से चर्चा किये तीन-तीन विधेयक पारित करा लिये गये हैं। ये विधेयक बची-कुची खेती-किसानी छुड़ा कर पूंजीपतियों के हांथों मे सौंपने और किसानो को पूरी तरह से कंगाल बनाने की साजिश है। उक्ताशय के विचार मप्र कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं पूर्व विधायक अजय सिंह ने कल जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा आयोजित प्रेसवार्ता को सबोधित करते हुए व्यक्त किये।
उमरिया। कांग्रेस ने लोकसभा मे कृषि विधेयकों को पारित कराये जाने का कड़ा विरोध करते हुए इसे मोदी सरकार द्वारा किसानो को कंगाल बनाने की साजिश बताया है। विधेयकों के विरोध मे जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा स्थानीय होटल बांधवगढ़ मे आयोजित पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक अजय सिंह ने कहा कि केन्द्र ने पूंजीपतियों के इशारे पर यह निर्णय लिया है, इसके लागू होते ही देश का कृषि क्षेत्र भी उद्योगपतियों के अधीन हो जाएगा और किसान अपने ही खेतों में मजदूर बन कर रह जायेंगे। सरकार ने नए कानून मे न सिर्फ अनाज को आवश्यक वस्तु अधिनियम की सूची से हटा दिया है। बल्कि एमएसपी और समर्थन मूल्य मे फसल खरीदी की बाध्यता तक खत्म कर दी है। इससे मुनाफाखोरी, जमाखोरी और कालाबाजारी बढ़ेगी। साथ ही किसानों की उपज मिट्टी के मोल खरीदने का रास्ता खुल जायेगा। प्रेस कांफ ्रेन्स मे जिलाध्यक्ष राजेश शर्मा, महामंत्री ठाकुरदास सचदेव, प्रवक्ता अशोक गौंटिया, ब्लाक अध्यक्ष अमृतलाल यादव, उदय प्रताप सिंह, संतोष सिंह, रघुनाथ सोनी समेत अन्य पदाधिकारी एवं जिले के प्रतिष्ठित पत्रकारबंधु मौजूद थे।
मंडियों को भी खत्म करने का इरादा
कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार मंडियों को भी खत्म करने का इरादा रखती है। उसके नये कानून के मुताबिक मंडियों के बाहर उपज की बिक्री और खरीद पर राज्य कर नहीं लगेगा जबकि एपीएमसी मंडियों मे टेक्स जारी रहेगा। इससे व्यापारी मंडियों मे माल की खरीद नहीं करेंगे। लिहाजा धीरे-धीरे मंडियां भी समाप्त हो जायेंगी और किसान फसल बेंचने सिर्फ व्यापारियों पर आश्रित हो जायेगा।
छोटे किसानो को क्या फायदा
प्रदेश महामंत्री ने सरकार के उस दावे पर भी सवाल उठाये हैं कि इस कानून से किसानो को अन्य मंडल या प्रांतों मे फसल बेंचने की छूट मिल जायेगी। उन्होने कहा कि जिले मे 70 प्रतिशत से ज्यादा कृषक ऐसे हैं जिनके पास 1, 2 या 3 एकड़ जमीन है। उनके पास न तो माल बाहर ले जाने की हिम्मत है नां ही पैसा वसूलने की। फिर क्या पहले किसान को माल बाहर ले जाने की छूट नहीं थी, जो अब ऐसा किया गया है। उन्होने कहा कि सरकार का यह दावा जुमलेबाजी से ज्यादा कुछ भी नहीं है।
किसानो को मिले एमएसपी का कानूनी अधिकार
नया कानून कांट्रेक्ट फार्मिग को वैद्यता प्रदान करता है, ताकि बड़े बिजनेस मेन किसानो के परंपरागत पेशे पर काबिज हो सकें। परंतु दोनो मे विवाद की स्थिति के बाद किसानो को इसका निर्णय कराने कोर्ट जाने की अनुमति नहीं है। इन अध्यादेशों मे खेत मजदूर के अधिकारों के संरक्षण का भी कोई प्रावधान नहीं है। मप्र कांग्रेस कमेटी के महामंत्री अजय सिंह ने कहा कि यदि मोदी सरकार वास्तव मे किसानो की हितैषी है तो वह एक और अध्यादेश ला कर उन्हे एमएसपी का कानूनी अधिकार प्रदान करे।
आज सौंपेंगे ज्ञापन
कृषि विधेयकों के खिलाफ कांग्रेस द्वारा आज जिला एवं ब्लाक मुख्यालयों पर महामहिम राष्टपति के नाम के ज्ञापन सौंपे जायेंगे। जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अशोक गौंटिया ने समस्त कांग्रेसजनो से संबंधित जिला एवं ब्लाक मुख्यालयों मे 11 बजे साथियों सहित अनिवार्य रूप से उपस्थित हो कर कार्यक्रम को सफ ल बनाने का आग्रह किया है।

 

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