किसानों और सरकार के बीच अगली वार्ता 2 फरवरी को, दिल्ली की सीमाओं पर बढ़ाई सुरक्षा

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानून के खिलाफ आंदोलनरत किसानों की सरकार से अगली वार्ता 2 फरवरी को होगी। बता दें कि इससे पहले 22 जनवरी को किसान नेताओं और केंद्र के बीच बैठक हुई थी जिसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला था। वहीं 26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा के बाद यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है। गणतंत्र दिवस पर किसानों ने ट्रैक्टर मार्च निकाला था, इस दौरान किसानों ने दिल्ली में काफी हिंसा की थी। लाल किसे को भी नुकसान पहुंचाया गया और उसके अंदर तोड़फोड़ की गई। इतना नहीं किसान लाल किले की प्राचीर पर चढ़ गए और वहां निशान साहिब का झंडे के साथ ही किसानों का झंडा लगाया गया था।26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद पूरे देश में किसानों के खिलाफ विरोध के स्वर तेज हो गए। सिंघु बॉर्डर पर तो नजदीक के गांव वाले लोग आ गए और किसानों को वहां से हटने को कहा। इसके बाद किसानों और स्थानीय लोगों में झड़प भी हो गई थी। दोनों तरफ से पत्थरबाजी की गई। इस घटना के बाद पुलिस ने टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और सिंघू बॉर्डर पर सुरक्षा कड़ी कर दी है। इसके साथ ही तीनों जगहों पर इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। राकेश टिकैत की भावुक अपील के बाद भारी संख्या में किसान एक बार फिर से जुटने शुरू हो गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देते हुए कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों को उनकी सरकार का प्रस्ताव अब भी बरकरार है और बातचीत में महज ‘एक फोन कॉल की दूरी’ है। संसद सत्र से पहले पारंपरिक सर्वदलीय बैठक में मोदी ने गणतंत्र दिवस के दिन हुई ‘दुर्भाग्यपूर्ण घटना’ का विपक्षी नेताओं की ओर से किए गए उल्लेख का जवाब देते हुए कहा कि ‘कानून अपना काम करेगा। प्रधानमंत्री ने विश्वास दिलाया कि केंद्र सरकार किसानों के मुद्दे पर खुले मन से आगे बढ़ रही है, केंद्र का रुख वही है जो 22 जनवरी को किसान नेताओं और केंद्र के बीच हुई आखिरी बैठक में था तथा कृषि मंत्री (नरेंद्र तोमर) की ओर से दिया गया प्रस्ताव आज भी बरकरार है। पीएम मोदी ने वही बात कही जो तोमर जी ने कहा था कि बातचीत में सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी है।

Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *