किले पर सजेगा बांधवाधीश का दरबार
शासन ने दी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बांधवगढ़ मे परंपरागत मेले की अनुमति
बांधवभूमि, उमरिया
शासन द्वारा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार बांधवगढ़ मे मेले की अनुमति दे दी है। इस दौरान आगामी 7 सितंबर को पार्क श्रद्धालुओं के लिये खोल दिया जायेगा। लोगों को प्रात: 8 से सायं 5 बजे तक प्रवेश की अनुमति रहेगी। इस दौरान वे किले पर स्थित भगवान बांधवाधीश के मंदिर मे जा कर उनके दर्शन और पूजा-अर्जना कर सकेंगे। बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक ने बताया है कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक असीम श्रीवास्तव ने इस संबंध मे आदेश जारी कर दिया है। जिसमे श्रद्धालुओं के आने-जाने का मार्ग निर्धारित किया गया है। आवागमन के समय उद्यान के अंदर एवं मार्ग मे ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग पूर्णत वर्जित रहेगा। सांथ ही धूम्रपान, आग जलाने एवं अति ज्वलनशील पदार्थो के परिवहन की अनुमति नही होगी। मात्र पूजा हेतु प्रतीकात्मक अग्नि प्रज्जल्वित की जायेगी। संपूर्ण मार्ग एवं श्रद्धालुओं के समूह एकत्रित होने वाले स्थानों पर वन कर्मचारी तैनात रहेंगे। पर्यावरण सुरक्षा हेतु पालीथीन का उपयोग अथवा कोई भी वेस्टेज सामग्री पार्क के अंदर छोडऩा निषेध होगा। आयोजन हेतु जिला प्रशासन एवं पुलिस का यथोचित सहयोग प्राप्त किया जाएगा।
अपने जिम्मेदारी पर मिलेगी एण्ट्री
बताया गया है कि जन्माष्टमी पर राष्ट्रीय उद्यान के अंदर श्रद्धालु अपनी जिम्मेदारी पर न्यूनतम संख्या मे प्रवेश कर सकेंगे। वन्य प्राणी अथवा अन्य किसी कारण होने वाली घटना के लिये विभाग उत्तरदायी नही होगा। व्यक्तियों को फोटो आईडी के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा तथा उनका विवरण रजिस्टर मे संधारित होगा। इसकी पुष्टि वापस आने पर की जाएगी।
राजााधिराज के रूप मे होती पूजा
उल्लेखनीय है कि बांधवगढ़ किले पर बिराजे भगवान बांधवाधीश ही पूरे राज्य के राजा हैं। ऐसी ही मान्यता के सांथ उनकी पूजा अर्चना होती है। यह मान्यता और परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। भगवान बांधवाधीश को ही समूचे राज्य का राजाधिराज माना जाता है। इतना ही नहीं आज भी रीवा राज दरबार की राजगद्दी पर बांधवाधीश ही विराजमान हैं।
अपने जिम्मेदारी पर मिलेगी एण्ट्री
बताया गया है कि जन्माष्टमी पर राष्ट्रीय उद्यान के अंदर श्रद्धालु अपनी जिम्मेदारी पर न्यूनतम संख्या मे प्रवेश कर सकेंगे। वन्य प्राणी अथवा अन्य किसी कारण होने वाली घटना के लिये विभाग उत्तरदायी नही होगा। व्यक्तियों को फोटो आईडी के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा तथा उनका विवरण रजिस्टर मे संधारित होगा। इसकी पुष्टि वापस आने पर की जाएगी।
राजााधिराज के रूप मे होती पूजा
उल्लेखनीय है कि बांधवगढ़ किले पर बिराजे भगवान बांधवाधीश ही पूरे राज्य के राजा हैं। ऐसी ही मान्यता के सांथ उनकी पूजा अर्चना होती है। यह मान्यता और परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। भगवान बांधवाधीश को ही समूचे राज्य का राजाधिराज माना जाता है। इतना ही नहीं आज भी रीवा राज दरबार की राजगद्दी पर बांधवाधीश ही विराजमान हैं।
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