कानूनी तरीके से बच्चों को गोद न लेने पर भुगतना होगा कारावास

कानूनी तरीके से बच्चों को गोद न लेने पर भुगतना होगा कारावास
केन्द्रीय बाल संरक्षण आयोग की नागरिकों को सलाह
बांधवभूमि न्यूज, उमरिया। वैधानिक प्रकिया अपनाये बिना निराश्रित बच्चों को गोद लेने पर 6 माह का कारावास अथवा 10 हजार रूपये जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है। केन्द्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा यह स्पष्ट किया गया है निराश्रित व जरूरतमंद बच्चों के संबंध मे सोशल मीडिया पर पोस्ट न डाली जाय। बल्कि उनकी जानकारी चाइल्ड लाइन 1098, स्थानीय पुलिस, विशेष दत्तक ग्रहण अभिकरण, बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई अथवा कारा को सूचित करें। दरअसल आयोग को ऐसी शिकायतें प्राप्त हुई हैं जिनमे यह कहा गया है कि कई गैर सरकारी संगठन उन बच्चों के बारे मे विज्ञापन प्रसारित कर रहे हैं, जो अनाथ हो गए हैं। अथवा जिन्होंने कोविड संक्रमण के दौरान अपने परिवार को खो दिया है। गोद लेना व देना एक वैधानिक प्रकिया है, जिसका पालन किया जाना अनिवार्य है। गोद लेने व देने के लिए संपूर्ण भारत मे एकमात्र एवं एकीकृत प्रावधान, केन्द्रीय दस्तक ग्रहण अधिकरण है।
पेचीदगियों से बचने अपनायें निर्धारत प्रक्रिया: गौतम
जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दिव्यप्रकाश गौतम ने बताया कि ऐसे मामलों मे वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन बेहद जरूरी है। ऐसा न करने पर निराश्रित बच्चों के साथ उन्हे गोद लेने वाले माता-पिता को भी भविष्य मे कई प्रकार की पेचीदगियों का सामना करना पड़ सकता है। सांथ ही इस तरह की प्रक्रियाओं का कोई कानूनी आधार भी नहीं रहता। इसे ध्यान मे रखते हुए ही शासन ने निष्पक्ष एवं पारदर्शी व्यवस्था लागू की है। श्री गौतम ने बच्चों को गोद लेने वाले सभी नागरिकों से इस प्रक्रिया को अनिवार्य रूप से अपनाने की अपील की है।

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