कागजों मे बने 1190 तालाब

कांग्रेस का आरोप, अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ करोड़ों का घोटाला

कोरोना के दौरान रोजगार खो चुके स्थानीय और प्रवासी श्रमिकों को मजदूरी उपलब्ध कराने के लिये जिले मे खोदे गये 1190 तालाबों का लोकार्पण गत दिवस केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किये जाने के बाद इस पर सवाल उठने शुरू हो गये हैं। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने इसमे कारोड़ों रूपये के घोटाले का आरोप लगाते हुए राज्य शासन से जांच की मांग कर डाली है। पार्टी का कहना है कि जिला पंचायत मे बैठे भ्रष्ट अधिकारियों ने आपदा को अवसर बना कर भारी फर्जीवाड़ा किया है।

उमरिया। जिले मे कराड़ों रूपये की लागत से बनाये गये तालाब इन दिनो चर्चाओं मे हैं। कांग्रेस का कहना है कि इस कार्य मे भारी धांधली और बंदरबांट हुई है। पार्टी ने सरकार से पूरे मामले की जांच लोकायुक्त से कराने की मांग की है। मप्र कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं पूर्व विधायक अजय सिंह ने कहा कि निर्माण एजेंसियों द्वारा प्रत्येक तालाब पर 14 से 20 लाख रुपये खर्च करने की बात कही गई है, जो कि पूरी तरह से झूठ और धोखाधड़ी है। ऑनलाइन की बजाय यदि मौके पर जाकर लोकार्पण किया जाता तो सच्चाई सामने आ जाती। यही कारण है कि यह कार्यक्रम वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये किया गया, परंतु कांग्रेस इस मामले मे चुप नहीं बैठेगी। श्री सिंह ने कहा कि यह कोरोना की आड़ मे हुआ अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है। जिसकी जानकारी प्रदेश संगठन को दी जा रही है, ताकि इसे राज्य स्तर तथा विधानसभा मे उठाया जा सके।
जिला पंचायत से मांगी जानकारी
इस मामले मे कांग्रेस ने जिला पंचायत से सूचना के अधिकार के तहत निर्मित तालाबों की सूची, निर्माण एजेंसी का नाम, गांव का नाम, स्थान, कैचमेंट एरिया, रकबा मजदूरी भुगतान, लागत आदि की जानकारी मांगी है।
मशीनो से कराया काम
कांग्रेस का कहना है कि तालाब निर्माण के नाम पर जनता के सैकड़ों करोड रूपयों की होली खेली गई है। जिन्हे तालाब बताया जा रहा है, वे दरअसल गड्ढों के अलावा कुछ भी नहीं है। मनरेगा के तहत हुए इस काम मे मजदूरों की बजाय मशीनो का जम कर इस्तेमाल हुआ है।
सीईओ पर फिर उठी उंगलियां
करोड़ों रूपये के तालाब निर्माण मे जिला पंचायत के सीईओ अंशुल गुप्ता पर एक बार फिर उंगलियां उठ रही हैं। सूत्रों का दावा है कि इस पूरे मामले मे सीईओ साहब ने भी जम कर मलाई छानी है। यही कारण है कि निर्माण एजेन्सियों ने धरातल पर कितना काम किया, यह देखे बगैर साहब दस्तखत करते रहे और भुगतान होता रहा। सीईओ पर इससे पहले भी मनरेगा, 14वें और 15वें वित्त के कार्यो मे चहेते सप्लायरों के खास आयटम जुड़वा कर पंचायतों से जबरन खरीददारी कराने, बात न मानने वाले सचिवों और रोजगार सहायकों तथा जनप्रतिनिधियों के सांथ अभद्रता के आरोप लगते रहे हैं।

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