कहीं राहत तो किसी पर प्रहार

केन्द्र की मोदी-2 सरकार का अंतिम बजट संसद मे पेश, जनता की मिलीजुली प्रतिक्रिया

बांधवभूमि, उमरिया
केन्द्र की मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट बुधवार को देश की संसद मे पेश कर दिया गया। इस वर्ष मप्र सहित कई राज्यों की विधानसभाओं तथा अगले ही साल लोकसभा के चुनाव होने हैं। लिहाजा लोगों, विशेष कर मंहगाई से जूझ रहे मध्यम वर्ग और बेरोजगारी से परेशान युवाओं को आम बजट से काफी उम्मीदें थीं। ये उम्मीदें कितनी पूरी हुई और बजट से जनता को क्या राहत मिलेगी, यह तो इसके पूरे विश्लेषण के बाद ही पता चलेगा, परंतु प्रारंभिक तौर पर इसे लेकर कई प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। भाजपा जहां बजट को ऐतिहासिक तथा जनोन्मुखी बता रही है, वहीं मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने इसे भाजपा का एक और जुमला बजट करार दिया है। आईये देखें इस संबंध मे पक्ष-विपक्ष तथा आम लोगों का क्या सोचना है।
नीरस और निराशाजनक
केन्द्र मे सत्तासीन होने के बाद से भाजपा सरकार ने जनता की भावनाओं के सांथ खिलवाड़ ही किया है। वर्ष 2024 मोदी शासन की विदाई का साल है। जाते-जाते भी प्रधानमंत्री जी लोगों के सांथ मजाक और छलावा करने से बाज नहीं आ रहे। आम बजट मे मंहगाई, बेरोजगारी दूर करने तथा किसानो के उत्थान की किसी योजना का उल्लेख नहीं है। छोटे और मझौले व्यापारियों के कारोबार को बचाने का उपाय भी नहीं किया गया है। जनता से टेक्स लूट कर आयकर के स्लैब मे ऊंट के जीरे के बराबर राहत का कोई मतलब नहीं है। बजट से जनमानस मे निराशा और रोश है।
अजय सिंह
अध्यक्ष
जिला कांग्रेस कमेटी, उमरिया

लोक कल्याणकारी बजट
यह केन्द्र सरकार का लोक कल्याणकारी बजट है। जिसमे गांव, गरीब, किसान, आदिवासी, दलित, पिछड़ों, शोषित एवं वंचितों के अलावा मध्यम वर्ग को सशक्त और सक्षम बनाने की सारी व्यवस्थाएं की गई है। इस बार इंस्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर मे 10 लाख करोड़ रुपये का अभूतपूर्व निवेश होगा। जो युवाओं के लिए रोजगार और एक बड़ी आबादी को आय के नए अवसर देगा। बजट मे देश के पारंपरिक कारीगरों व शिल्पकारों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना की शुरुआत की गई। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व व मार्गदर्शन मे भारत नित नए आयाम हासिल कर रहा है। हम विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की कगार पर हैं। ऐेसे शानदार बजट के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को बधाई।
दिलीप पाण्डेय
अध्यक्ष
भारतीय जनता पार्टी, उमरिया

ऑनलाईन कारोबार पर नहीं लगा अंकुश
जीएसटी और नगदी की कमी के कारण व्यापार तबाह हो चुका है। ऊपर से देश-विदेश की बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कम्पनियों को ऑनलाईन कारोबार की छूट दे दी गई है। जो कि उपभोक्ताओं को घटिया सामान मंहगे दामो पर बेंचने के सांथ सरकारी टेक्स की चोरी कर रही हैं। व्यापारिक संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इण्डिया ट्रेडर्स (कैट) लगातार सरकार से जीएसटी को व्यवहारिक बनाने तथा ऑनलाईन कारोबार पर रोक लगाने की मांग कर रही थी। बजट मे इन दोनो मांगों पर विचार नहीं किया गया है। कीर्ति कुमार सोनी
अध्यक्ष
कैट, उमरिया

कम करने की बजाय बढ़ा दिया टेक्स
कोरोना के बाद से ही आभूषण का कारोबार चौपट हो चला है। ले दे कर लोग अब सिर्फ शादी-विवाह के सीजन मे ही सराफा बाजार की ओर रूख करते हैं। भारी भरकम जीएसटी के कारण लागत तो बढ़ी है, पर कारोबार घटता चला जा रहा है। इस व्यापार से जुड़े लाखों दुकानदारों को अपेक्षा थी कि सरकार इस बार के बजट मे ज्वैलरी पर टेक्स घटा कर उन्हे राहत देगी, परंतु उलटे इस पर कर और बढ़ा दिया गया है। जिससे व्यापार मे दिक्कतें बढऩे के सांथ मध्यम वर्ग की जेबों पर मंहगाई का असर पड़ेगा।
शंभू सोनी
साहित्यकार एवं ज्वैलर्स
उमरिया

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