कलेक्टर की समझाईश पर माने ग्रामीण
बांधववढ़ नेशनल पार्क मे घुस आये थे विस्थापित, प्रबंधन ने ली राहत की सांस
बांधवभूमि, उमरिया
जिले के बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान मे मंगलवार को घुसे ग्रामीण अंतत: कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव की समझाईश पर वापस अपने घरों को चले गये हैं। प्रशासन द्वारा इन लोगों को जल्दी ही समस्याओं का निराकरण करने का आश्वासन दिया गया है। इसके लिये आगामी 10 फरवरी को समरकुईनी मे एक शिविर आयोजित किया जायेगा। सभी प्रभावित परिवारों को वहां आने को कहा गया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2010 मे पार्क क्षेत्र मे स्थित ग्राम मगधी को खाली करने के बाद वहां निवासरत लोग अन्यंत्र गावों मे जा कर बस गये थे। बीते दिनो पूर्व मगधी गांव के करीब 70-80 परिवार अपने घरों को छोड़ कर मझखेता बैरियर के पास इक_े हो गये। उनका कहना था कि विस्थापन के बाद उन्हे बिजली, पानी, पीएम आवास, शैचालय आदि किसी भी तरह की शासकीय योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। जिससे अब वे वापस मगधी की ओर जा रहे हैं।
मचा हड़कंप, पहुंचे अधिकारी
ग्रामीणों का रूख देख कर कर्मचारियों मे हड़कंप मच गया। तत्काल ही मामले की सूचना पार्क प्रबंधन और प्रशासन को दी गई। जिसके बाद एसडीएम मानपुर और उद्यान के परिक्षेत्राधिकारी मौके पर पहुंच गये, परंतु तब तक बड़ी मात्रा मे लोग बेरियर पार करके जंगल मे प्रवेश कर चुके थे। अधिकारियों ने बाहर खड़े ग्रामीणो को तो किसी कदर समझा-बुझा कर वापस भेज दिया परंतु अंदर बैठे विस्थापित इसके लिये राजी नहीं हुए। वे रात भर ठण्ड मे अंदर ही जमे रहे।
अस्वस्थ होने के बावजूद आये कलेक्टर
इस बीच यह जानकारी मिल रही थी कि कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। सुबह भी जब एसडीएम और पार्क के अधिकारियों से बात नहीं बनी तो अस्वस्थ्य होने के बावजूद कलेक्टर ने मोर्चा संभाला और मझखेता जा पहुंचे। ग्रामीणो ने कलेक्टर को बताया कि करीब 3 दर्जन से अधिक विस्थापित परिवारों को अभी भी मुआवजा नहीं मिला है। विस्थापन के समय पार्क प्रबंधन ने उन्हे मजदूरी पर रखने की बात कही थी लेकिन किसी को काम तो नही दिया बल्कि जो पहले से पार्क मे लगे हुए थे, उन्हें भी हटा दिया गया। कलेक्टर श्री श्रीवास्तव ने बड़ी ही संजीदगी से उनकी बातें सुनी और उनके निराकरण का आश्वासन दिया। जिससे ग्रामीण संतुष्ट हो कर जंगल से बाहर निकलने को राजी हो गये।