प्रोजेक्ट-75 की पांचवी पनडुब्बी, कुल 6 बनाई जाना हैं
नई दिल्ली। प्रोजेक्ट-75 की पांचवी कलवरी क्लास पनडुब्बी यार्ड 11879 ‘वागीर’ मंगलवार को इंडियन नेवी को सौंप दी गई। प्रोजेक्ट-75 के तहत स्कॉर्पीन डिजाइन की कुल छह स्वदेशी पनडुब्बियां बनाई जाना हैं।इन पनडुब्बियों का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड मुंबई में किया जा रहा है। मैसर्स नेवल ग्रुप, फ्रांस इसमें सहयोग कर रहा है। दोनों कंपनियों के बीच 6 सबमरीन तैयार करने लिए 2005 में करार हुआ था। नौसेना के अधिकारियों ने बताया कि पनडुब्बी से भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा होगा।वागीर को 12 नवंबर 2020 को लांच किया गया था। एक फरवरी 2022 से वागीर ने समुद्री ट्रायल्स शुरू किए। इसने दूसरी पनडुब्बियों के मुकाबले सबसे कम समय में हथियार और सेंसर के प्रमुख ट्रायल्स पूरे कर लिए।
स्कॉर्पिन सबमरीन की खासियत
स्कॉर्पिन डिजाइन की सभी सबमरीन एंटी-सरफेस वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, खुफिया जानकारी जुटाना, माइन लगाने और एरिया सर्विलांस का काम कर सकती हैं।
प्रोजेक्ट 75 क्या है?
इंद्रकुमार गुजराल सरकार ने 25 पनडुब्बियां नेवी को देने का फैसला किया था। इसके लिए प्रोजेक्ट 75 बनाया गया। इस प्रोजेक्ट के तहतपनडुब्बियों को बनाने के लिए 30 साल की योजना बनाई गई। 2005 में, भारत और फ्रांस ने छह स्कॉर्पीन डिजाइन की पनडुब्बियां बनाने के लिए 3.75 अरब डॉलर के कांट्रैक्ट पर दस्तखत किए। कलवरी क्लास की पहली सबमरीन 2017 में नेवी को मिली थी।
24 महीने में तीसरी पनडुब्बी
24 महीने की अवधि में भारतीय नौसेना को तीसरी पनडुब्बी दे दी गई है। पनडुब्बी को जल्द ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा और भारतीय नौसेना की क्षमता में वृद्धि की जाएगी।