कर्मचारी पर झूठी गवाही का दबाव बनाने के मामले मे नपे बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के पूर्व क्षेत्र संचालक

न्यायालय ने सुनाई 3 साल की सजा, दस वर्ष बाद आया फैंसला
बांधवभूमि, रामाभिलाष त्रिपाठी
मानपुर। जिले के राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ मे बहुचर्चित झुरझुरा वाली बाघिन की मौत और इसे लेकर प्रबंधन द्वारा की गई कार्यवाही के दौरान कर्मचारी को प्रताडि़त करने के मामले मे न्यायालय ने तत्कालीन क्षेत्र संचालक सीके पाटिल को 3 वर्ष की सजा सुनाई है। इस प्रकरण मे कोर्ट ने उस समय के एसडीओ डीसी घोरमारे, वन परिक्षेत्राधिकारी त्रिपाठी और रेगी राव को भी दण्डित किया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 मे पार्क की बेहद मशहूर झुरझुरा वाली बाघिन की संदिग्ध मौत हो गई थी। जिसकी जांच के दौरान के काफी विवाद हुआ था। कहा जाता है कि सीएफ सीके पाटिल ने इस मामले मे जबरन तत्समय के जिला पंचायत के सीईओ अक्षय कुमार सिंह, सीईओ मानपुर डॉ. केके पाण्डेय सहित कोई लोगों को लपेटे मे ले लिया था। इसके लिये उन्होने उद्यान के कर्मचारी मान सिंह पर झूठी गवाही देने का दबाव बनाया था।
गायब हुआ मान सिंह
इसी बीच कर्मचारी मान सिंह अचानक गायब हो गया। जब बहुत दिनो तक कर्मचारी का कहीं पता नहीं चला तो उसकी पत्नी ने कलेक्टर से पति को खोजने की मांग की। सांथ ही हाईकोर्ट मे याचिका प्रस्तुत की, जिसमे भी उसी के पक्ष मे निर्णय पारित हुआ। पत्नि का आरोप था की प्रबंधन ने मान सिंह को जबरन बंदी बना कर अज्ञात स्थान पर रखा हुआ है। अधिकारी उस पर झूठी गवाही देकर लोगों को बाघिन हत्याकाण्ड मे फंसाने का दबाव डाल रहे हैं। प्रबंधन द्वारा मान सिंह का नारकोटिक्स टेस्ट भी कराया गया था।
कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ अपराध
जबरन बंदी बना कर झूठी गवाही दिए जाने के दबाव और कार्यवाही से व्यथित मान सिंह ने अंतत: न्यायालय मे परिवाद पेश किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। इस मामले मे कोर्ट के निर्देश पर आरोपियों के विरूद्ध धारा 195 और 342 का अपराध पंजीबद्ध किया गया। यह प्रकरण व्यवहार न्यायालय मानपुर मे प्रचलित था। शुक्रवार को न्यायाधीश द्वारा बांधवगढ़ के तत्कालीन डायरेक्टर और वर्तमान मे प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल सीके पाटिल को 3 साल की सजा और पांच हजार रूपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। इसके सांथ ही अन्य अभियुक्तों एसडीओ डीसी घोरमारे, रेंजर श्री त्रिपाठी और रेगी राव के विरूद्ध 6 माह की सजा तथा पांच सौ रूपये के जुर्माने का दण्डादेश पारित किया गया है।

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