स्लैब्स में कोई बदलाव नहीं
बजट में टैक्स स्लैब्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है। व्यक्तिगत करदाताओं के लिए बुनियादी छूट की सीमा में आखिरी बार बदलाव 2014 में हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का पहला बजट पेश करते हुए तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने करमुक्त आय की सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये किया था। वरिष्ठ नागरिकों के लिए करमुक्त आय की सीमा को बढ़ाकर 2.5 लाख से 3 लाख रुपये किया गया था। तब से करमुक्त आय की सीमा नहीं बढ़ी है।
वित्त मंत्री सीतारमण ने 2020 में टैक्स जमा करने का नया विकल्प दिया था। इसमें उन लोगों के लिए टैक्स रेट्स को घटाया गया था, जो टैक्स में मिलने वाली छूट और राहत का लाभ नहीं उठाना चाहते। यह एक तरह से आयकर का सरलीकरण था। कमाई के हिसाब से टैक्स तय किया गया था। इसमें निवेश एवं अन्य आवश्यक खर्चों के तहत टैक्स में मिलने वाली छूट खत्म कर दी गई थी। इससे करदाताओं को दो विकल्प मिल गए। वे पुरानी व्यवस्था में रहकर छूट प्राप्त कर सकते हैं या नई व्यवस्था में बिना छूट के कर का भुगतान कर सकते हैं। बजट में जो बड़ी घोषणा की गई है, वह दो साल में रिटर्न को अपडेट करने की अनुमति है। अगर किसी करदाता ने अपनी सालाना आय की घोषणा में कोई गलती की है तो वह इसे दो साल में सुधार सकता है। इसके लिए उसे अपना रिटर्न अपडेट करना होगा। इससे मुकदमेबाजी कम होगी। रिटर्न अपडेट करते हुए उन्हें आवश्यक कर का भुगतान करना होगा। सीतारमण ने कहा कि इस समय डिपार्टमेंट को पता चलता है कि टैक्सपेयर ने कोई गलती की है तो मुकदमेबाजी की लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इस प्रस्ताव से टैक्सपेयर्स और विभाग में आपसी विश्वास बढ़ाने में मदद मिलेगी। टैक्सपेयर ने अगर रिटर्न में कोई गलती की है तो वह खुद ही उसे सुधार सकेगा। इस समय कोऑपरेटिव सोसायटियों को 18% और 1.5% अल्टरनेट मिनिमम टैक्स चुकाना होता है। हालांकि, कंपनियां इसका भुगतान 15% की दर से करती हैं। कोऑपेरटिव सोसायटियों और कंपनियों के एक-से नियम बनाने के लिए कोऑपरेटिव सोसायटियों के लिए टैक्स को घटाकर 15% किया गया है। एक से 10 करोड़ रुपये तक की सालाना आय वाली कोऑपरेटिव सोसायटियों पर लगने वाला सरचार्ज भी 12 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत किया गया है।
अर्थव्यवस्था को मिलेगीमजबूती : मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये बजट 100 साल की भयंकर आपदा के बीच विकास का नया विश्वास लेकर आया है। ये बजट अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ ही सामान्य मानवों के लिए अनेक नए अवसर बनाएगा। ये बजट बेहतर बुनियादी ढांचा, ज्यादा निवेश, ज्यादा विकास और और ज्यादा नौकरियों की नई संभावनाओं से भरा हुआ है।
दिव्यांगों को टैक्स राहत
माता-पिता या अभिभावक दिव्यांगों के लिए बीमा योजना ले सकेंगे। मौजूदा कानून के तहत माता-पिता या अभिभावक की मौत पर मिलने वाली एकमुश्त राशि पर ही टैक्स छूट का प्रावधान है। ऐसी भी परिस्थिति बन सकती है कि दिव्यांग व्यक्ति को अपने माता-पिता या अभिभावक के जीवित होने पर भी एकमुश्त राशि मिले और उस पर कर से छूट की आवश्यकता पड़े। नए प्रावधान के अनुसार माता-पिता या अभिभावक के 60 साल के होने तक दिव्यांग को कर में राहत मिलेगी। पॉलिसीएक्स.कॉम के सीईओ नवल गोयल ने इस कदम का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह प्रस्ताव दिव्यांगों की आजीविका को देखते हुए महत्वपूर्ण है। क्लेम सेटलमेंट से जुड़ी चुनौतियों से दिव्यांगों को कुछ हद तक राहत मिलेगी।
राज्य सरकार के कर्मचारियों को राहत
इस समय केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के वेतन का 14% अंशदान नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में करती है। कर्मचारी अपने आयकर रिटर्न में इसकी छूट ले सकते हैं। हालांकि, राज्य सरकारों के कर्मचारियों को सिर्फ 10% तक ही टैक्स छूट मिलती है। कर्मचारियों के बीच इस भेदभाव को दूर करते हुए राज्य सरकार के कर्मचारियों के एनपीएस अकाउंट में योगदान पर 14% टैक्स राहत की घोषणा की गई है।
वर्चुअल संपत्ति पर 30% टैक्स
नए प्रस्ताव के तहत वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों (क्रिप्टो) पर 30% टैक्स लगेगा। इन संपत्तियों को खरीदने पर किए गए खर्च के अलावा कोई छूट नहीं मिलेगी। इन संपत्तियों के ट्रांसफर पर 1% टीडीएस भी लागू होगा। वर्चुअल करेंसी को गिफ्ट देने पर भी टैक्स चुकाना होगा।