कई देशों की आधुनिक तकनीक से तैयार होंगे ये लाइट हाउस, हर शहर में अलग तकनीक का इस्तेमाल: मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल के पहले दिन 6 शहरों के लिए लाइट हाउस प्रोजेक्ट की शुरुआत की। प्रोजेक्ट के तहत देश के 6 शहरों में अगले एक साल में एक-एक हजार घर बनाएंगे जाएंगे। जर्मनी, अमेरिका, फिनलैंड, न्यूजीलैंड जैसे विकसित देशों के तकनीक से बनने वाले ये घर सस्ते, मजबूत भूकंपरोधी होंगे, इसके बनने में भी कम समय लगेगा। इन घरों के निर्माण खिलौने जैसे ब्लॉक को जोड़कर किया जाएगा, इस बनाने के लिए दीवार में ईंट गारे का इस्तेमाल भी नहीं होगा।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, झारखंड, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के सीएम की वर्चुअल मौजूदगी में पीएम मोदी ने परियोजना का उद्घाटन किया। प्रोजेक्ट के तहत इंदौर, राजकोट, चेन्नई, रांची, अगरतला और लखनऊ में अगले साल तक एक-एक हजार घर बनाएंगे। इस तरह से मात्र एक साल में 6 हजार मकान बनाए जा सकते है। पीएम ने कहा कि उनकी सरकार के 6 साल ने आम जनता में ये विश्वास भर दिया है कि उसके पास अब अपना घर हो सकता है! प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कभी आवासीय प्रोजेक्ट सरकार की प्राथमिकता में शामिल नहीं थे, लेकिन हमने इस कल्चर को बदल दिया।
उन्होंने कहा कि पैसे देने के बावजूद पहले खरीदार अपने आशियाने के लिए इंतजार करता रहता था। उसके पास कानूनी ताकत नहीं थी, घर खरीद पर बैंक लोन की दरें ऊंची थी। पीएम मोदी ने कहा कि शहर में रहने वाले गरीब हों या मध्यम वर्ग, इन सबका सबसे बड़ा सपना होता है, अपना घर है। वो घर जिसमें उनकी खुशियां, सुख-दुख, बच्चों की परवरिश जुड़ी होती हैं। लेकिन बीते वर्षों में लोगों का अपने घर को लेकर भरोसा टूटता जा रहा था। हमारी सरकार ने इस धारणा को बदल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा ये प्रोजेक्ट आधुनिक तकनीक और इनोवेटिव प्रोसेस से बनेगा। इसमें कंस्ट्रक्शन का समय कम और गरीबों के लिए ज्यादा सस्ते और सहूलियत वाले घर तैयार होने वाले है। इन घरों की खासियत बताते हुए पीएम मोदी ने कहा, इंदौर में जो घर बन रहे हैं उनमें ईंट और गारे की दीवारे नहीं होंगी, बल्कि प्री फेबरिकेटेड सैंडविच पैनल सिस्टम इसमें इस्तेमाल किया जाएगा। वहीं राजकोट में बनने वाले घर में टनल के जरिए मोनोलिथिक क्रांक्रीट का इस्तेमाल होगा। पीएम ने कहा कि इन घरों को बनाने में कम समय लगेगा। लखनऊ में बनने वाले घर में कनाडा की तकनीक का इस्तेमाल होगा है, इसमें पहले से दीवारें बनी होंगी, इन दीवारों को प्लास्टर और पेंट करने की भी जरूरत नहीं है। अगरतला में स्टील फ्रेम में तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, इस तकनीक को न्यूजीलैंड से मंगाया गया है। इन घरों को भूकंप का कम से कम खतरा रहेगा। वहीं चेन्नई में अमेरिका और फिनलैंड की तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां पर प्री कास्ट कांक्रीट सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे घर तेजी से बनेगा और सस्ता भी होगा। रांची में जर्मनी के थ्री डी कंस्ट्रक्शन सिस्टम से घर बनाया जाएगा। इसमें हर कमरा अलग से बनेगा और फिर पूरे स्ट्रक्चर को वैसे ही जोड़ा जाएगा, जैसे लेगो ब्लॉक के खिलौने को जोड़ते हैं। पीएम निर्माण क्षेत्र के प्रोफेशनल से अपील की है कि वे अपने करियर का कुछ हिस्सा इन जगहों पर गुजारें और इन नई तकनीक से कुछ सीखें फिर इस तकनीक में भारत के माहौल के मुताबिक बदलाव का सुझाव दें।

Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *