मप्र के पंचायत और निकाय चुनावों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए आरक्षण
भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण देने को मंजूरी दे दी है। साथ ही सात दिन में आरक्षण के आधार पर अधिसूचना जारी करने के निर्देश दिए हैं। यह भी कहा कि प्रदेश में कुल आरक्षण ५० प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने १० मई को ट्रिपल टेस्ट की आधी-अधूरी रिपोर्ट के आधार पर बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने के निर्देश दिए थे। इसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर संशोधन याचिका दाखिल की थी। महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट को आधार बनाकर आरक्षण करने का आदेश दिया गया है। सरकार ने ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने के लिए १२ मई की देर रात सुप्रीम कोर्ट में संशोधन याचिका (एप्लिकेशन फॉर मॉडिफिकेशन) दाखिल की थी। इस पर १७ मई को भी सुनवाई हुई। सरकार ने ओबीसी आरक्षण देने के लिए २०११ जनसंख्या के आंकड़े प्रस्तुत किए थे। इसके अनुसार प्रदेश में ओबीसी की ५१ प्रतिशत आबादी बताई गई है। सरकार का माना था कि इस आधार पर ओबीसी को आरक्षण मिलता है तो उसके साथ न्याय हो सकेगा। वहीं, दूसरे पक्ष की ओर से कहा गया था कि सरकार की ओर से कोई लापरवाही भी होती है तो अन्य पिछड़ा वर्ग को उसका संवैधानिक अधिकार (आरक्षण) मिलना चाहिए।
ऐसे मिलेगा आरक्षण
सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि किसी भी सूरत में आरक्षण ५० प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। राज्यवार देखें तो प्रदेश में अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग को १६ प्रतिशत तथा अनुसूचित जनजाति (एसटी) को २० प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। इस तरह ३६ प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ५० फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं होगा। लिहाजा, (५०-३६=१४) १४ फीसदी से ज्यादा नहीं मिलेगा ओबीसी को आरक्षण। हालांकि, बिना रोटेशन के पंचायत चुनाव कराने के राज्य सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाले कांग्रेस नेता सैयद जाफर ने कहा कि अब जनपद पंचायतों के अनुसार आरक्षण तय होगा। यदि किसी जनपद पंचायत में अनुसूचित जनजाति वर्ग की जनसंख्या ३० प्रतिशत और अनुसूचित जाति वर्ग की जनसंख्या २५ प्रतिशत है तो ओबीसी को कोई आरक्षण नहीं मिलेगा। वहीं, यदि किसी जनपद पंचायत में अनुसूचित जनजाति वर्ग की जनसंख्या ३० प्रतिशत और अनुसूचित जाति वर्ग की जनसंख्या १५ प्रतिशत है तो ओबीसी को ५ प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। यदि जनपद पंचायत में अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति की जनसंख्या ५-५ प्रतिशत है। यानी ओबीसी की जनसंख्या ४० प्रतिशत है, तो ऐसी स्थिति में ओबीसी वर्ग को ३५ प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं मिलेगा।
तीन चरणों में होंगे पंचायत चुनाव
प्रदेश में पंचायत चुनाव तीन चरणों में होंगे। इसे लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को लेटर लिखा है। इसमें लिखा है कि नए परिसीमन २०२० के अनुसार संबंधित जिले की जिला पंचायत सदस्यों के निर्वाचन क्षेत्र का परीक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं। इससे पता चल सके कि उनके निर्वाचन क्षेत्र का विस्तार एक से अधिक विकासखंड में नहीं हुआ है। यदि विस्तार एक से अधिक विकास खंडों में हुआ है, तो वहां चुनाव एक ही दिन में कराने का प्रस्ताव भेजने को कहा गया है, ताकि शुरुआती चरण के बाद आंशिक परिणाम सार्वजनिक न हो पाए। आयोग ने बताया है कि नए परिसीमन २०२२ के बाद विभिन्न जिलों में जिला पंचायत सदस्य के निर्वाचन क्षेत्र का विस्तार एक से अधिक विकासखंड में है। जिला पंचायत के किसी सदस्य के निर्वाचन क्षेत्र की कुछ पंचायतें एक विकासखंड में है और कुछ पंचायतें दूसरे विकासखंड में हैं। इनका चुनाव एक ही दिन में संपन्न कराना होगा, ताकि मतगणना भी मतदान समाप्ति के बाद मतदान स्थल पर ही कराया जाएगा। ओवरलेप हो रहे दो विकासखंडों में चुनाव प्रक्रिया अलग-अलग चरणो में कराई जाती है, तो आशंका है कि संबंधित जिला पंचायत सदस्य के चुनाव का आंशिक परिणाम प्रथम चरण की मतगणना के बाद सार्वजनिक हो जाएगा। जो संबंधित क्षेत्र के दूसरे चरण में होने वाले मतदान को प्रभावित कर सकता है।
अंतत: सत्य की हुई विजय : मुख्यमंत्री श्री चौहान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आज का दिन ऐतिहासिक दिन है। आज मुझे संतोष है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने का फैसला दिया है। अब पूरे आनंद से ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव संपन्न होगा। माननीय सर्वोच्च न्यायलय को मैं प्रणाम करता हूँ। मुख्यमंत्री श्री चौहान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के संबंध में दिए गए निर्णय पर मैपकास्ट परिसर में मीडिया के प्रतिनिधियों से चर्चा कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हम ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव चाहते थे, लेकिन प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में गया। हमने ओबीसी आरक्षण के लिए हर संभव प्रयास किया, कोई कसर नहीं छोड़ी। ट्रिपल टी टेस्ट के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया। आयोग ने पूरे प्रदेश का दौरा किया, तथ्य जुटाए, व्यापक सर्वे किया और उन तथ्यों और सर्वे के आधार पर जो रिपोर्ट आयी, वह सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गयी। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निकायवार रिपोर्ट मांगी गई, जिसे न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। अंतत: सत्य की विजय हुई और यह फिर सिद्ध हुआ कि सत्य पराजित नहीं हो सकता।
ओबीसी वर्ग को अभी नहीं मिलेगा पूरा लाभ:कमलनाथ
पूर्व सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने कहा ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैलने पर कहा कि हम पहले दिन से ही कह रहे थे कि मध्य प्रदेश में बगैर ओबीसी आरक्षण के पंचायत व नगरीय निकाय के चुनाव नहीं होना चाहिए, सरकार इसको लेकर सभी आवश्यक कदम उठाए। आज सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के मामले में राहत प्रदान करने का निर्णय दिया है, उसका हम स्वागत करते हैं। लेकिन हमारी सरकार द्वारा १४ प्रतिशत से बढ़ाकर २७ प्रतिशत किए गए ओबीसी आरक्षण का पूरा लाभ ओबीसी वर्ग को अभी भी नहीं मिलेगा क्योंकि निर्णय में यह उल्लेखित है कि आरक्षण ५० प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।