ओबीसी आरक्षण: केन्द्र ने कहा हमे भी पार्टी बनाओ

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होंगे या नहीं, इस पर फैंसला जल्द, आयोग की बैठकों का दौर जारी
भोपाल। मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव होंगे या नहीं। इस पर फैसला जल्दी हो सकता है। राज्य निर्वाचन आयोग के अफसर इसको लेकर सोमवार को तीन बार बैठक कर चुके हैं। देर शाम आयोग के अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ का लीगल ओपिनियन अफसरों को मिला, लेकिन दो अन्य अधिवक्तओं की तरफ से लीगल ओपिनियन नहीं मिल पाया। इसकी वजह से कल तक के लिए फैसला टाल दिया गया है। इधर, पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण के मामले में अब केंद्र सरकार ने दखल दे दिया है। केंद्र सरकार ने पक्षकार बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को याचिका दायर कर दी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में ३ जनवरी को सुनवाई होगी। दूसरी तरफ सरकार के पंचायत राज संशोधन अध्यादेश वापस लेने के बाद गेंद राज्य निर्वाचन आयोग के पाले में आ गई है।
कानूनी सलाह ले रहे: सिंह
आयुक्त सिंह ने बताया कि अब आयोग अध्यादेश वापस लेने से बनी परिस्थितियों के मद्देनजर कानूनी सलाह ले रहा है। चुनाव को लेकर आयोग निर्णय विधिक सलाह मिलने के बाद लेगा। राज्य निर्वाचन आयोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित (पंच, सरपंच, जनपद और जिला पंचायत सदस्य) पदों को छोड़कर चुनाव करा रहा था। चूंकि जिस अध्यादेश के आधार पर चुनाव कार्यक्रम घोषित हुआ था, सरकार ने उसे ही वापस ले लिया है, इसलिए चुनाव प्रक्रिया स्थगित करना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री ने सॉलिसिटर जनरल के साथ की चर्चा
पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक को बहाल कराने के लिए शिवराज सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जा चुकी है। इस पर तीन जनवरी को सुनवाई प्रस्तावित है। इसको लेकर मुख्यमंत्री ने रविवार को दिल्ली में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित कानून विशेषज्ञों के साथ बैठक की।
अर्जेंट हियरिंगसे इनकार कर चुका है सुप्रीम कोर्ट
राज्य सरकार द्वारा इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर की गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अर्जेंट  हियरिंग से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने के लिए उनके आबादी के आंकड़े जुटाने का आदेश दिया है। महाराष्ट्र के संदर्भ मे दिए गए इस आदेश की वजह से पंचायत चुनाव में ओबीसी के लिए आरक्षित पदों के चुनाव पर रोक लग गई है। आगे भी यदि ओबीसी को आरक्षण का लाभ पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव मं देना है तो उसके लिए आबादी का आधार देना होगा। इसमे भी कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक तभी हो सकता है, जब सुप्रीम कोर्ट विशेष अनुमति दे।

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