ऑक्सीजन और इंजेक्शन के बाद वैक्सीनेशन मे भी फ्लॉप सरकार

राज्यों की तैयारी पूरी, लेकिन टीकों का अता-पता नही

नई दिल्ली। देशभर में 1 मई से 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए वैक्सीनेशन की शुरुआत होने जा रही है, लेकिन मप्र सहित कई राज्यों में वैक्सीनेशन फिलहाल 2 दिन टल सकता है। प्रदेश सरकार ने युवाओं के वैक्सीनेशन के लिए 45 लाख डोज के ऑर्डर सीरम इंस्टिट्यूट को दिए हैं। ये डोज आने के बाद ही 1 मई की जगह 2-3 मई से वैक्सीनेशन की शुरुआत होने की उम्मीद जताई जा रही है।स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार 1 मई से होने वाले कोरोना वैक्सीनेशन के लिए मप्र सरकार ने सभी तैयारियां पूरी करने का दावा किया है। सबसे बड़ी बाधा वैक्सीन की आपूर्ति है। अभी तक उनको कोरोना वैक्सीन ही नहीं मिली है। अब ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि 1 मई से टीकाकरण अभियान की शुरुआत कैसे की जाएगी? कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए कोविन एप और आरोग्य सेतु एप पर लोग ताबड़तोड़ रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं। इसके अलावा लोग घंटों लाइन में लग कर भी पंजीकरण कर रहे हैं और भारी मात्रा में हो रहे रजिस्ट्रेशन से स्वास्थ्य मंत्री बेहद खुश हैं। लेकिन इससे राज्यों की परेशानी तो बढ़ गयी है और उन्हें चिंता है कि इतनी मात्रा में वैक्सीन आएंगी कहां से?
देश में वैक्सीन का टोटा
दुनिया ने ही यह मान लिया कि भारत कोरोना प्रबंधन के मामले में चूक गया और यहां के नेता चुनावों में ही जुटे रहे। ऑक्सीजन और इंजेक्शन का तो देशभर में टोटा है ही और कई लोगों की मौत भी हो गई, तो वैक्सीन के विश्वगुरु बनने वाले भारत में अब उसका भी टोटा पड़ गया है। 1 मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन लगवाना है, जबकि हकीकत यह है कि कई राज्यों में वैक्सीन डोज कम मात्रा में बचे हैं। इनमें मप्र भी शामिल है। इसलिए सरकार ने गुरूवार और शुक्रवार को वैक्सीनेशन अभियान रोक दिया है।
साढ़े 3 करोड़ आबादी को होना है वैक्सीनेशन
मप्र में साढ़े 3 करोड़ आबादी को वैक्सीन लगना है। लेकिन अभी जो वैक्सीन डोज की उपलब्धता की जानकारी सामने आ रही है उससे तो यह लगता है कि इतने लोगों को पता नहीं कब तक वैक्सीन लग पाएगी। पहले ही दिन 1 करोड़ 33 लाख लोगों ने वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन करवा लिए। दूसरी तरफ वैक्सीनों की कीमतों को लेकर भी कई तरह की गड़बड़ी सामने आई है। केन्द्र सरकार को 150 रुपए में मिलने वाली वैक्सीन के दाम राज्य सरकारों के लिए दो गुना से ज्यादा और निजी अस्पतालों के लिए 10 गुना से अधिक कर दिए हैं। वहीं इन निजी अस्पतालों को कहा गया है कि वे सीधे कम्पनी से वैक्सीन हासिल करे। अब सवाल यह है कि मप्र के कितने निजी अस्पताल कम्पनी से ये वैक्सीन हासिल कर पाएंगे और कब लोगों को ये वैक्सीन लगेगी..?
75 लाख डोज अपर्याप्त
फिलहाल तो प्रदेश शासन ने 45 लाख डोज का ही ऑर्डर सीरम इंस्टीट्यूट को दिया है और लगभग 30 लाख डोज केन्द्र से मिलेंगे। यानी 75 लाख डोज साढ़े 3 करोड़ 18 से 45 साल की उम्र के लोगों के लिए भी कम साबित होंगे, जबकि दूसरा डोज भी लाखों को लगवाना है और कई लोग तो अभी पहले डोज से भी वंचित हैं। सरकार पहले कोविशील्ड वैक्सीन खरीद रही है, जिस पर 180 करोड़ रु. खर्च होंगे। इस हिसाब से सरकार को वैक्सीन की एक डोज 400 रु. और दोनों डोज 800 रु. में पड़ेंगी। सरकार को 18+ की आबादी पर वैक्सीनेशन के लिए 2710 करोड़ रु. खर्च करना पड़ेगा। मप्र देश में पहला राज्य है, जिसने वैक्सीन खरीदने का ऑर्डर जारी किया है। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि राज्य सरकार को यह वैक्सीन 1 मई से पहले मिल जाएगी। इसके लिए लगातार सीरम इंस्टीट्यूट से संपर्क भी किया जा रहा है।
18 से 45 साल के बीच 3.41 करोड़ आबादी
मप्र में 1 मई से देश की 18+ आबादी का वैक्सीनेशन शुरू हो जाएगा। इसके लिए रजिस्ट्रेशन 28 अप्रैल से शुरू हो रहा है। फिलहाल सरकार के पास वैक्सीन के 4 लाख 70 हजार लाख डोज ही बचे हैं। राज्य सरकार ने 45 लाख डोज के लिए सीरम इंस्टीट्यूट को आर्डर किया है। चुनौती यह है कि 18 से 45 साल के बीच के करीब 3.41 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगनी है। जिलों में बंद पड़े वैक्सीनेशन सेंटर को दोबारा शुरू किया जा रहा है। इसमें 45 साल से ज्यादा उम्र के 1.29 करोड़ लोगों को जोड़ लिया जाए तो अब 4 करोड़ 70 लाख लोगों को वैक्सीन लगनी है। इसके लिए 9 करोड़ 40 लाख डोज की जरूरत है। एक्सपट्र्स के मुताबिक, कोरोना की तीसरी और फिर आगे कोई लहर न आए, इसके लिए प्रदेश की 70 प्रतिशत आबादी को वैक्सीन लगाना जरूरी है। अब तक 45 से ज्यादा उम्र की 32 प्रतिशत आबादी को ही वैक्सीन की पहली डोज ही लग पाई है।

24 घंटे मे 3646 लोगों ने गवाई जान

देश में कोरोना से हालात बेहद खराब हो गए हैं। हर दिन संक्रमितों और मौतों का नया आंकड़ा सामने आ रहा है। बुधवार को पहली बार एक दिन में 3 लाख 79 हजार 164 नए मरीजों की पुष्टि हुई। अब तक एक दिन के अंदर मिले नए मरीजों का ये आंकड़ा सबसे अधिक है। इससे पहले 27 अप्रैल को सबसे ज्यादा 3.62 लाख मरीजों की पहचान हुई थी। इसके अलावा 24 घंटे के अंदर 3646 संक्रमितों की मौत भी हो गई। ये लगातार दूसरा दिन था जब तीन हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। इसके पहले मंगलवार को 3286 मौतें रिकॉर्ड की गईं थीं। अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, दवाइयों, वेंटिलेटर संकट के बीच हर दिन कोरोना के एक्टिव केस तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। अब देश में 30 लाख 77 हजार 75 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। इस मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है। अमेरिका में सबसे ज्यादा 68 लाख एक्टिव केस हैं। हालांकि कोरोना की अगर यही रफ्तार रही तो आने वाले एक महीने के अंदर भारत में सबसे ज्यादा एक्टिव केस होंगे।

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