ऐसे मे कैसे हारेगा कोरोना
अनलॉक के दूसरे दिन बेकाबू हुए हालात, बैकों मे टूट रहे नियम कायदे
उमरिया। कोरोना संक्रमण की चैन तोडऩे के उद्देश्य से लगाये गये लॉकडाउन के कारण लगभग 52 दिनो तक बंद रहने के बाद खुले शहर मे स्वछंदता एक बार फिर हावी होती दिख रही है। कल बुधवार को बाजारों मे जोरदार भीड़ रही। बैंकों मे तो जैसे सारे नियम कायदे ताक पर रख दिये गये। क्या मास्क और क्या सोशल डिस्टेन्ंिसग सब कुछ धरा का धरा रह गया। ऐसे मे सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इस तरह कैसे हारेगा कोरोना, जब हम ही उसे फलने-फूलने का मौका दे रहे हैं। उल्लेखनीय है कि महामारी का संक्रमण कम होने के बाद गत 1 जून से जिले मे शर्तो के सांथ बाजार खोलने की अनुमति दी गई थी। अनलॉक के दूसरे दिन स्थित बेहद दयनीय रही। इस दौरान करीब-करीब हर जगह निर्देशों का जम कर माखौल उड़ाया गया।
अभी भी हो रही मौतें
सरकारी आंकडे चाहे कुछ भी कहें, पर जिले मे अभी भी बड़े पैमाने पर कोरोना से मौतें हो रही हैं। यह आंकड़ा अनुमान से कहीं ज्यादा है। जानकारों का दावा है कि शहरी और ग्रामीण अंचलों से महामारी से लगातार लोगों की जान जा रही है। उनका कहना है कि मृतकों के परिजन पहले तो समय पर जांच नहीं करा रहे हैं, फिर परेशानी से बचने के लिये मौतों का कारण कुछ और बताया जा रहा है। यही कारण है कि वस्तुस्थिति और सरकारी आंकड़ों मे जमीन आसमान का अंतर है।
ठीक होने के बाद भी खतरा
वहीं दूसरी लहर का कोरोना पहली लहर से कहीं ज्यादा खतरनाक है। कोरोना से ठीक हुए लोगों की माने तो असली खतरा पोस्ट कोविड की पेचीदगियों से है। चिकित्सा विशेषज्ञों का मत है कि जरा सा लक्षण दिखते ही, कोरोना की जांच और इलाज शुरू होना बेहद जरूरी है, देर होने और संक्रमण फेफड़ों मे पहुंचने के बाद स्थिति नियंत्रण से बाहर होने मे देर नहीं लगती। किस्मत से यदि बचाव हुआ भी तो बीमारी और दवाईयों का साईड इफेक्ट महीनो तक रहता है। इसलिये इस जानलेवा महामारी से बचाव ही एकमात्र उपाय है।