रात भर मचाया उत्पात, रौंद डाली खेतों मे खड़ी दर्जनो किसानो की फसलें
उमरिया। बीते करीब दो वर्षो से बांधवगढ़ मे डेरा जमाये छत्तीसगढ़ के जंगली हाथियों ने आखिरकार शहर का रूख कर लिया है। रविवार की रात हाथियों का दल नगर के वार्ड नंबर 2 लालपुर बस्ती के पास पहुंच गया। जहां उन्होने खेतों मे घुस कर खड़ी फसलों को तहसनहस कर दिया। हाथियों ने पिपरिया मे भी जमकर उत्पात मचाया है। सुबह जब किसानो की आंख खुली तो उन्हे कई खेत तबाह मिले। पहले तो वे समझ ही नहीं पाये कि आखिर माजरा क्या है। थोड़ी ही देर मे पिपरिया से भी इसी तरह की खबरें आने लगी। खोज-खबर लेने के बाद पता चला की यह सारी खुराफात जंगली हाथियों की है। अंतत: रात भर तांडव करने वाला हाथियों का दल सुबह 8 बजे बिलाईकाप स्थित स्कूल के पास जुगाली करता पाया गया। इस दल मे एक-दो नहीं पूरे 32 हाथी हैं। वन विभाग समय-समय पर हाथियों के निगरानी की बात करता रहता है। इस तरह उनका शहर मे उनका आ धमकना कहीं न कहीं विभाग की लापरवाही को प्रदर्शित करता है।
महिमार मे जमे गजराज
घटना की सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंच गई। विभागीय अमला हाथियों को खदेडऩे का प्रयास करने मे जुट गया पर वे टस से मस नहीं हुए। बड़ी मशक्कत के बाद हांथी आगे बढ़े और पास के गांव महिमार पहुंच गये। जानकारी के मुताबिक अभी वे वहीं पर जमे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि शहर के गांधी चौक से लालपुर का फांसला महज 500 मीटर है जबकि महिमार यहां से लगभग दो किमी की दूरी पर स्थित है। जिला मुख्यालय और उससे लगे ग्रामीण अंचलों तक हाथियों के झुण्ड की आमद न सिर्फ खतरनाक है बल्कि बेहद चिंताजनक भी है।
वर्षो पुराना है हाथियों का इतिहास
हाथी एक स्थान से दूसरे स्थान पर विचरण करने वाला जीव माना जाता है। जिले मे इनका इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार करीब 70 से 90 साल पहले बांधवगढ़ और उसके आसपास बहुतायत मे जंगली हांथी पाये जाते थे। धीरे-धीरे जंगल कम हुए तो उन्होने छत्तीसगढ़ की ओर रूख कर लिया। अब वहां के वनो की सघनता घटी है तो फिर हाथियों ने उन इलाकों की ओर आना शुरू कर दिया जहां उनके भोजन और पानी की पर्याप्त व्यवस्था है।
पकड़े गये थे चार हाथी
ज्ञांतव्य हो कि सबसे पहले 4 हांथी छत्तीसगढ़ से भटक कर कर सीधी जिले मे पहुंच गये थे। जिन्हे रेस्क्यू कर बांधवगढ़ लाया गया और ट्रेनिंग दी गई। इनमे से एक को संजय धुबरी भेजा गया, जबकि 3 अभी भी पार्क मे हैं।
स्थाई रूप से रह रहे 40 जंगली हाथी
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व मे 40 से ज्यादा जंगली हाथी अपना स्थाई आवास बना चुके हैं। वे पनपथा बफ र, पनपथा कोर, पतौर और खितौली रेंज मे काफी समय से सक्रिय हैं। पिछले वर्ष हाथियों का दल मगधी और ताला जोन पहुंच गया था, जिसकी वजह से मगधी और ताला जोन के गेट भी पर्यटकों के लिए बंद करने पड़े थे। जंगली हाथी किसानों और पर्यटकों के लिये बड़़ा खतरा हैं। वे जंगल से सटे गांव मे बोई जाने वाली फ सलों को बर्बाद कर देते हैं वहीं कच्चे मकानों को भी तोड़ देते हैं। उग्र होने पर जंगली हाथी किसी पर भी हमला कर देते हैं।
इस किसानो को पहुंचाई क्षति
बताया गया है कि जंगली हाथियों ने करीब 50 एकड़ मे खड़ी फसल को तबाह किया है। इस घटना मे पिपरिया के बलराम कोल, मिठाईलाल यादव, पुन्ना कोल, लुब्बा कोल, प्रेमलाल कोल, राजेन्द्र चौधरी, त्रिवेणी लोनी, नरेश लोनी तथा शहर के वार्ड नंबर दो, लालपुर के धनीलाल राठौर, लालमन सिंह, रमेश, मोलई कोल, धरमपाल सिंह आदि कई किसानों के फसलों को भारी क्षति पहुंची है।
हाथियो के मूवमेंट से बांधवगढ अनुभाग में लालपुर एवं जमुनिया ग्राम के 13 किसानों की फसल क्षति पर मुआवजा हेतु प्रकरण बनाये गये
क्षतिपूर्ति की कार्यवाही जारी
जंगली हाथियों से लालपुर एवं जमुनिया के 13 किसानों की फसलों को हुई नुकसानी के आंकलन हेतु राजस्व विभाग को निर्देशित किया गया है। अनुविभागीय अधिकारी बांधवगढ़ अनुराग सिंह ने बताया कि कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के निर्देशानुसार पटवारी द्वारा सभी किसानों के मुआवजा प्रकरण तैयार कर स्वीकृति हेतु तहसीलदार बांधवगढ को भेज दिए गये हैं।