TMC ने वोटिंग से हाथ खींचा तो मार्गरेट अल्वा बोलीं- गुस्सा और अहंकार छोड़कर साथ आइए
नई दिल्ली। 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव से पहले विपक्षी एकता की गांठ ढीली पड़ती दिख रही है। पश्चिम बंगाल की CM और तृणमूल कांग्रेस की प्रेसिडेंट ममता बनर्जी ने वोटिंग से दूर रहने का ऐलान कर दिया है। इसके बाद विपक्ष के नेता उन्हें मनाने में जुट गए हैं। इधर, विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने भी ममता से साथ आने की अपील की है। हालांकि अल्वा के शब्दों में निराशा, अनुरोध के साथ थोड़ी तल्खी भी दिखी। अल्वा ने शुक्रवार को ममता से कहा कि मतदान से दूर रहने का टीएमसी का फैसला निराशाजनक है। यह किसी बात, अहंकार या क्रोध का समय नहीं है। यह साहस, नेतृत्व और एकता का समय है। मुझे विश्वास है कि साहस की प्रतिमूर्ति ममता विपक्ष के साथ खड़ी रहेंगीं।
पार्टी को तवज्जो न देने से ममता नाराज
तृणमूल कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूर रहने का फैसला किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह पार्टी को लूप में रखे बिना विपक्षी उम्मीदवार का फैसला करने के तरीके से सहमत नहीं है। पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने 22 जुलाई को टीएमसी सांसदों के साथ बैठक के बाद यह निर्णय लिया।NDA ने वाइस प्रेसिडेंट चुनाव के लिए बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया है, जबकि विपक्षी दलों ने राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा को मैदान में उतारा है।
तृणमूल कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूर रहने का फैसला किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह पार्टी को लूप में रखे बिना विपक्षी उम्मीदवार का फैसला करने के तरीके से सहमत नहीं है। पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने 22 जुलाई को टीएमसी सांसदों के साथ बैठक के बाद यह निर्णय लिया।NDA ने वाइस प्रेसिडेंट चुनाव के लिए बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया है, जबकि विपक्षी दलों ने राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा को मैदान में उतारा है।
विवादों से जुड़ा रहा अल्वा का नाम
एनसीपी चीफ शरद पवार ने दिल्ली में रविवार को विपक्षी दलों की बैठक के बाद उनके नाम की घोषणा की थी। 80 साल की अल्वा मूल रूप से कर्नाटक के मेंगलुरु की रहने वाली हैं। कभी अल्वा ने कांग्रेस हाईकमान पर टिकट बेचने का आरोप लगाया था। अल्वा राजस्थान समेत 4 राज्यों की राज्यपाल रह चुकी हैं।
एनसीपी चीफ शरद पवार ने दिल्ली में रविवार को विपक्षी दलों की बैठक के बाद उनके नाम की घोषणा की थी। 80 साल की अल्वा मूल रूप से कर्नाटक के मेंगलुरु की रहने वाली हैं। कभी अल्वा ने कांग्रेस हाईकमान पर टिकट बेचने का आरोप लगाया था। अल्वा राजस्थान समेत 4 राज्यों की राज्यपाल रह चुकी हैं।
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