उद्धव ठाकरे को सुप्रीम झटका

शिंदे गुट के पास ही रहेगा शिवसेना का सिंबल और नाम, दोनों गुटों से 14 दिन मे जवाब मांगा
मुंबई। शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और निशान सौंपे जाने के खिलाफ उद्धव की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले पर रोक नहीं लगाई है। हालांकि, SC ने शिंदे खेमे और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर 2 हफ्ते में जवाब मांगा है।CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि शिंदे गुट ने चुनाव आयोग के सामने खुद को साबित किया है। इस स्थिति में अभी हम चुनाव आयोग के आदेश पर रोक नहीं लगा सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि उद्धव कैंप अभी मिले अस्थायी नाम और चुनाव निशान का इस्तेमाल जारी रख सकता है।बेंच ने यह आदेश 26 फरवरी को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा उपचुनाव को देखते हुए दिया है। इस दौरान कोर्ट ने शिंदे गुट से कहा कि आप भी अभी ऐसा कोई व्हिप नहीं जारी करेंगे जिसे न मानने से उद्धव समर्थक सांसद और विधायक अयोग्य हो जाएं। इस पर शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल ने सहमति जताई। उद्धव गुट की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने पैरवी की। उन्होंने बेंच से कहा कि पार्टी के कार्यालयों और बैंक खातों को शिंदे समूह द्वारा लिया जा रहा है। ऐसे में कोर्ट यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दे। हालांकि बेंच ने इसे मानने से इनकार कर दिया।शिंदे गुट ने भी उद्धव की याचिका से पहले सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की थी। जिसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट कोई भी फैसला देने से पहले उसका पक्ष जरूर सुने।
शिंदे के वकील की दलील
शिंदे पक्ष के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुनवाई हाई कोर्ट में होनी चाहिए। इन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट में बात रखने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। कौल ने कहा कि इन्होंने पहले भी सुप्रीम कोर्ट से चुनाव आयोग की कार्रवाई पर रोक की मांग की थी, जो नहीं मिली थी। अब फिर कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में विवाद के बाकी मामले लंबित हैं, इसलिए इसे भी सुनिए। लेकिन यह कोई आधार नहीं।
कपिल सिब्बल ने क्या कहा?
वहीं उद्धव ठाकरे के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग कह रहा है कि शिवसेना का 2018 का संविधान रिकॉर्ड पर नहीं है। इसलिए विधायक दल में बहुमत के हिसाब से सुनवाई करेंगे। यह गलत है। अगर यह भी आधार हो तो विधान परिषद और राज्यसभा में हमारे पास बहुमत है। उसकी उपेक्षा की गई।इस पर शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि 2018 में एक पार्टी संविधान बना दिया गया कि सारे अधिकार अध्यक्ष के पास ही रहेंगे। इस तानाशाही भरे संविधान की जानकारी भी चुनाव आयोग को नहीं दी गई। उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ अयोग्यता की कार्रवाई लंबित होना किसी विधायक को सदन के कामकाज से अलग नहीं करता। चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रोक न लगाने के बाद अपना काम किया। दोनों पक्षों ने खुद को असली पार्टी बताया। आयोग विस्तार से सुनवाई कर फैसला लिया है।
SC में ठाकरे गुट ने पार्टी संविधान का हवाला दिया
उद्धव गुट की याचिका में कहा गया था कि चुनाव आयोग ने शिवसेना के नाम और चुनाव निशान के विवाद के निपटारे का आधार पार्टी के 1999 के संविधान को बनाया, जबकि इसे 2018 में बदला जा चुका था। संशोधन में कहा गया था कि शिवसेना में अध्यक्ष ही सबसे ऊपर होगा। किसी को पार्टी में शामिल करने, निकालने या बैठक करने पर आखिरी फैसला पार्टी अध्यक्ष का ही होगा।उद्धव गुट ने कहा था कि 1999 के संविधान के मुताबिक पार्टी प्रमुख के पास इस तरह का कोई पावर नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने 2018 के संविधान को रिकॉर्ड पर रखने का समय ही नहीं दिया। फैसला लेते वक्त नए संविधान को अनदेखा किया गया है। इसी दलील के आधार पर उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी।
उद्धव की मुसीबतें लगातार बढ़ती जा रही हैं
उद्धव ठाकरे की मुसीबत लगातार बढ़ती जा रही हैं। पहले पार्टी का नाम और निशान गया, फिर विधानभवन में पार्टी का ऑफिस भी चला गया। अब BMC हेडक्वार्टर पर शिंदे गुट की नजर है। वहीं, शिंदे गुट ने महाराष्ट्र असैंबली में बने शिवसेना के ऑफिस पर दावा ठोका है। शिंदे गुट के विधायकों ने ऑफिस को अपने अधिकार में ले लिया। मुंबई के शिवसेना भवन में उद्धव गुट की मीटिंग से पहले शिंदे गुट के नेता सदा सर्वंकर ने कहा कि हम किसी प्रॉपर्टी पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। न सिर्फ सेना भवन, बल्कि हमारे लिए पार्टी की हर शाखा एक मंदिर है।​​​​​​
चुनाव आयोग का दुरुपयोग हुआ:शरद पवार
शिवसेना के नाम और निशान विवाद में नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार का बयान आया है। पवार ने अपने बयान में इलेक्शन कमीशन (EC) पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा- EC ने वही किया, जो सरकार चाहती थी। आयोग का दुरुपयोग किया गया है। हमने चुनाव आयोग का ऐसा फैसला कभी नहीं देखा। बालासाहेब ठाकरे ने अपने आखिरी दिनों में कहा था कि उनके बाद उद्धव ठाकरे को शिवसेना की जिम्मेदारी दी जाएगी। पवार ने आगे कहा कि एक विचारधारा और पार्टी देश में भाईचारे को खत्म कर रही है। अटल बिहारी वाजपेयी जब PM थे, तब देश की संस्था पर इस तरह का हमला नहीं हुआ था। नरेंद्र मोदी की सरकार देश की संस्था पर हमला कर रही है और राजनीतिक दल को काम नहीं करने दे रही है।इलेक्शन कमीशन ने पिछले हफ्ते शुक्रवार को शिंदे गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दे दी थी। उसे शिवसेना का ‘तीर-कमान’ चुनाव चिह्न भी दे दिया। कमीशन के इस फैसले के विरोध में शिवसेना (उद्धव गुट) ने सुप्रीम कोर्ट (SC) में याचिका दाखिल की। बुधवार यानी आज SC ने इस मामले में EC के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। SC ने कहा कि हम आदेश पर रोक नहीं लगा सकते।
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