उद्धव इस्तीफा न देते तो कुछ कर सकते थे
महाराष्ट्र की सियासी उठापटक पर सुप्रीम कोर्ट का फैंसला, एकनाथ शिंदे बने रहेंगे मुख्यमंत्री
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में करीब साल भर पहले हुए सियासी उठापटक पर गुरु वार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया। फैसले की सबसे बड़ी बात ये है कि एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने रहेंगे। लेकिन उनकी ये जीत उद्धव ठाकरे के इस्तीफे की वजह से हुई। कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना ही नहीं किया। खुद ही इस्तीफा दे दिया। ऐसे में अदालत इस्तीफा रद्द नहीं कर सकती है। हम पुरानी सरकार बहाल नहीं कर सकते हैं। फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा- मैं गद्दार लोगों के साथ सरकार कैसे चलाता। शिंदे सरकार में नैतिकता नहीं है, नहीं तो वो आज इस्तीफा दे देती। इस पर डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि उद्धव ने नैतिकता नहीं बल्कि हार की डर के चलते इस्तीफा दिया। मुख्यमंत्री बनने के लिए कांग्रेस और एनसीपी के साथ गए।
स्पीकर का निर्णय सही नहीं
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 2016 का नबाम रेबिया मामला, जिसमें कहा गया था कि स्पीकर को अयोग्य ठहराने की कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है, जब उनके निष्कासन का प्रस्ताव लंबित है, तो इसमें एक बड़ी पीठ के संदर्भ की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अब इसे बड़ी बेंच के पास भेजा जाना चाहिए। अगर स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, तो क्या वह विधायकों की अयोग्यता की अर्जी का निपटारा कर सकते हैं, अब इस मुद्दे की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की पीठ करेगी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि व्हिप को मान्यता देकर स्पीकर की कार्रवाई की वैधता की जांच करने से अदालतों को अनुच्छेद 212 से बाहर नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्हिप राजनीतिक पार्टी द्वारा जारी किया जाता है और संविधान की 10वीं अनुसूची में आता है। 21 जून, 2022 को शिवसेना विधायक दल के सदस्य मीटिंग करते हैं और एकनाथ शिंदे को पद से हटाते हैं। स्पीकर को राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए थी, न की ङ्क्षशदे गुट द्वारा नियुक्त व्हिप भरतशेट गोगावले को। इस तरह सुप्रीम कोर्ट से ङ्क्षशदे गुट को व्हिप की नियुक्ति को लेकर झटका लगा है।
सोच-समझा कर लिया था फैंसला: कोश्यारी
इधर महाराष्ट्र के तत्कालीन गवर्नर भगत ङ्क्षसह कोश्यारी ने कहा है कि उन्होंने जो भी कदम उठाया वह सोच समझकर उठाया था। हलांकि उन्होने यह भी कहा कि मैं राज्यपाल पद से मुक्त हो चुका हूं। तीन महीने हो चुके हैं। राजनीतिक मसलों से मैं अपने को बहुत दूर रखता हूं। जो मसला उच्चतम न्यायालय में था, उस पर न्यायालय ने अपना निर्णय दे दिया है। उस निर्णय पर जो कानूनविद हैं वहीं अपनी राय व्यक्त करेंगे। उन्होंने कहा, कि जब किसी का इस्तीफा मेरे पास आ गया, तो मैं क्या कहता कि तुम मत दो इस्तीफा?
उद्धव इस्तीफा न देते तो कुछ कर सकते थे
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