उत्सव की आड़ में आतिशबाजी की इजाजत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सिर्फ इन पटाखों पर है प्रतिबंध
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को साफ किया कि सभी पटाखों पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि केवल उन्हीं पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है जिनमें बेरियम साल्ट होता है। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि उत्सव की आड़ में प्रतिबंधित पटाखों को अनुमति नहीं दी जा सकती है। न्यायधीश एमआर शाह और एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि किसी भी प्राधिकरण को दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। अदालत ने कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध को लागू करने में राज्यों, एजेंसियों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से किसी भी चूक को बहुत गंभीरता से लिया जाएगा।

स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं
पीठ ने कहा कि कोई भी उत्सव किसी की जीन की कीमत पर नहीं हो सकता है। किसी को भी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किसी के स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, खास तौर बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने के मामलो में यह अधिक महत्वपूर्ण है।

केवल इनकी है मनाही
शीर्ष अदालत की पीठ ने आगे कहा, ‘यह स्पष्ट किया जाता है कि पटाखों के उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। केवल उन्हीं पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं और नागरिकों, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों व बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले पाए जाते हैं।

लोगों की जिंदगी से नहीं कर सकते खिलवाड़
कोवाक्सिन लगवा चुके लोगों को कोविशील्ड का टीका लगाने की इजाजत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट दाखिल की गई याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया। याचिका पर सुनवाई कर रहे जज जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम इस तरह का आदेश देकर लोगों के जीवन से नहीं खेल सकते हैं।

डब्ल्यूएचओ के फैसले का करें इंतजार
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि खबरों से पता चला है कि भारत बायोटेक ने डब्ल्यूएचओ में आवेदन किया है। इस पर जल्द फैसला लिया जाएगा लेकिन तब तक डब्ल्यूएचओ के फैसले का इंतजार कीजिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी याचिकाओं पर दखल देना जोखिम भरा है। इससे अच्छा है कि हालात को देखा जाए कि क्या हो रहा है। दीवाली के बाद मामले की सुनवाई होगी।

याचिकाकर्ता की दलील
सुप्रीम कोर्ट में वकील कार्तिक सेठ ने याचिका दाखिल की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि कई छात्र और लोग विदेश जाना चाहते हैं लेकिन उन्हें प्रवेश करने नहीं दिया जा रहा है क्योंकि डब्ल्यूएचओ ने अभी तक कोवाक्सिन को मान्यता नहीं दी है। उन्होंने कहा कि कोवाक्सिन टीकाकरण के बाद किसी व्यक्ति को कोविन पर पंजीकरण करके कोविशील्ड का टीका लेने की अनुमति नहीं है। इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारे पास इससे संबंधित कोई डाटा नहीं है। हम केंद्र से लोगों के दोबारा टीकाकरण के लिए नहीं कह सकते। हम इस तरह लोगों की जिंदगी से नहीं खेल सकते। समाचार पत्रों से पता चला है कि भारत बायोटेक ने डब्ल्यूएचओ में आवेदन किया है जो इस पर निर्णय लेगा। फैसले की प्रतीक्षा करें।

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