उल्लासपूर्वक मनाई गई मकर संक्रांति, मंदिरों मे उमड़ी श्रद्धा
बांधवभूमि, उमरिया
भारत का महान वैदिक कालीन पर्व मकर संक्रांति कल जिले भर मे पारंपरिक श्रृद्धा और उल्लास से मनाई गयी। 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि मे प्रवेश करते ही उत्तरायण का संक्रमण शुरू हुआ जिसे मकर संक्रांति कहते हैं। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक संक्रमण क्षण से 20 घड़ी तक विशेष पुण्य होता है। मकर संक्रांति पर भगवान शिव की आराधना से विशेष पुण्य मिलता है लिहाजा लोगो ने नदियों मे स्नान कर अपने पूर्वजों का तर्पण किया और भगवान भूतभावन की विधिविधान से पूजा अर्चना कर तिल के लड्डुओं का भोग लगाया। मकर संक्रांति पर पुरातन परंपरा के अनुसार स्नान और पूजा अर्चना के बाद लोगों ने मेले का आनंद लिया और जमकर खरीददारी की। मेलों मे परंपरा और भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिली। संक्रांति को सुबह से ही मंदिरों तथा नदियों के घाट पर लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली, लोग पट खुलने के पहले ही मंदिरों मे पहुंच चुके थे। सूर्य देव के उत्तरायण होते ही शुभ कार्यो के मुहूर्त शुरू हो जाते हैं, इस मौके पर संक्रांति स्नान का विशेष पुण्य मिलता है। संस्कृति और परंपरा को मानने वाले लोगों ने नदियो मे स्नान कर अपने पूवर्जाे का ध्यान करते हुए तपर्ण किया और तिलांजली दी। इस मौके पर कुछ लोगों ने ब्राम्हण और कन्या भोज के आयोजन किये तथा गरीबों को अन्न और वस्त्रों का दान किया गया।
जगह-जगह भरे मेले
मकर संक्रांति के पावन पर्व पर जिला मुख्यालय के प्रसिद्ध सागरेश्वर मंदिर, मढ़ीवाह, नौरोजाबाद मे जोहिला पुल के पास सिद्ध बाबा मंदिर, नागोताल, मनेरी, जरहा, सिंघवार एवं मानपुर के समीप दशरथ घाट मझौली, देवरी, चटकी, डोंगरी, सोन नदी व चरण गंगा नदी तथा इंदवार थाना अंतर्गत मार्कण्डेय, पनपथा, पड़वार, दमोय, चंदिया तहसील के कौडिय़ा आदि गावों मे मंदिरों के समीप मेले भरे जहां लोगों ने पूजा-पाठ उपरांत आवश्यक खरीददारी की।
ईश्वर की आराधना, पूर्वजों को तर्पण
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