ईश्वर एक, फर्क तो बंदों मे दिल मे

ईश्वर एक, फर्क तो बंदों मे दिल मे
अपनी तकरीर मे बाबा हुजूर ने फरमाया, मोहर्रम पर शान से निकली सवारी
बांधवभूमि, उमरिया
ऊपर वाला एक है, उसके लिये ना तो कोई धर्म है ना मजहब, फर्क तो बंदों के दिल मे है। कत्ल की रात अपनी तकरीर मे उमरिया वाले बाबा ने फरमाया कि जिसे जिसकी इबादत करना है, करें पर इंसानियत को न भूलें। इमाम हुसैन की शहादत को याद दिलाने वाला मातमी पर्व मोहरम कल जिला मुख्यालय सहित जिले भर मे पूरे परांपरिक श्रद्घा से मनाया गया। इस्लामी कलेण्डर के पहले महीने की पहली तारीख से ही मोहर्रम की तैयारियां शुरू कर दी गई थी। इस मौके पर जहां बाबा हुजूर के दीवानो का शेर बनकर शहर मे गस्त करना, इमाम बाड़े मे हाजिरी लगाना शुरू हो गया था वहीं ताजियादार ताजियों के निर्माण मे जुट गये थे। मस्जिदों मे मजलिस और घरों मे कुरानख्वानी की जा रही थी, सबको इस मुकद्दस दिन का बेसब्री से इंतजार था। कत्ल की रात बाबा हुजूर की सवारी इमाम बाड़े मे तशरीफ लाई और शहर का गस्त कर जायरीनो को ताकीद दी, बाद गस्त बाबा हुजूर ने मुरादगाह पहुंचकर लोगो को मुराद दी और मस्जिद मे हाजिरी के बाद सवारी वापस इमाम बाड़ा पहुंची।
थिरकते मुजावर, मस्तानी चाल
मोहर्रम पर शनिवार शाम लगभग 4:55 बजे बाबा हुजूर की सवारी इमामबाड़ा से निकलकर मुरादगाह पहुंची और अपने चाहने वालों को दुआओं से मालामाल किया। जामा मस्जिद मे सजदा करने के बाद एक बार फिर उनकी मुरादगाह आमद हुई। जहां से गांधी चौक होते हुए सवारी ने करबला के लिये कूच किया। इस मौके पर सड़कों, यहां तक कि बाउंड्रीवाल और भवनो की छतो पर भी लोगो की खचाखच भीड़ नजर आई। मोहर्रम के मौके पर बाबा हुजूर की सवारी जब शहर की सड़कों से होकर गुजरती है तो उनकी शानो शौकत देखते ही बनती है। उनकी मस्तानी चाल से लोग बरबस ही अभिभूत हो जाते है, बाबा की चाल, थिरकते मुजावर और बैंडबाजों की धुन वातावरण मे ऐसा समा बांध देती है कि लोग बस इसे अपनी आंखो मे बसा लेना चाहते हैं। बाबा अपनी मर्जी के मालिक हैं उनकी सवारी मे गजब की तेजी होती है, वे कब और कहां रूक जाये यह कहा नही जा सकता। कहा जाता है कि कई बार ऐसे मौके भी आये हैं जब दीदार से वंचित और निराश होकर लौटते जायरीनो को उन्होने खुद बुलाकर अपनी नेमत बक्शी है। यह उमरिया वाले बाबा की दरिया दिली ही है जो अकस्मात लोगो को यहां खीच लाती है।
अखाड़ेबाजी और लंगरे आम
मातमी पर्व के मौके पर कलाबाजों द्वारा अपने साहसिक करतबों का बेहतरीन नमूना पेश किया गया, जो लोगों के आकर्षण का केन्द्र रहा। पूरे समय तक शहर की सड़कों पर ढोल, ताशे और नगाड़े बजते रहे। इस मौके पर आसपास के क्षेत्रों और बाहर से आने वाले जायरीनो के लिए विभिन्न समाजिक संस्थाओं तथा मोहर्रम कमेटी द्वारा जगह-जगह चाय का वितरण और लंगरेआम किया गया। शहर मे शांति व्यवस्था चुस्त और दुरूस्त रखने के लिए भारी तादात मे पुलिस बल तैनात किया गया था।
जिले भर मे मनाया गया त्यौहार
शहादत का पर्व मोहर्रम जिले के पाली, नौरोजाबाद और चंदिया आदि शहरों मे भी अकीदत के साथ मनाया गया। इस मौके पर मस्जिदों मे दुआ ए आशुरा पढ़ी गई व गुनाहों के मगफि रत के लिए अल्लाह से दुआ की गई।

 

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