रांची । झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी के समक्ष पूछताछ के लिए पेश होने के पहले कहा कि ईडी की कार्रवाई उनकी सरकार को अस्थिर करने के षड्यंत्र का हिस्सा है। अवैध खनन को लेकर उन पर लगे आरोप पूरी तरह निराधार हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल का पद राजनीति और पार्टी से ऊपर होता है, लेकिन इनके कार्यकलापों से ऐसा लगता है कि वे षड्यंत्रकारी राजनीति करने वाले दलों को संरक्षण दे रहे हैं। एक तरफ माइनिंग लीज मामले में चुनाव आयोग के मंतव्य की चिट्ठी का लिफाफा राज्यपाल महीनों बाद भी नहीं खोलते, और दूसरी तरफ बयान देते हैं राज्य में बम-पटाखा फूट सकता है। राज्यपाल के बयान के तुरंत बाद ईडी का समन आता है और सत्ताधारी दलों के विधायकों के घरों पर आईटी और केंद्रीय एजेंसियों का छापा पड़ने लगता है। उन्होंने कहा कि उन्हें खबर है कि अभी कई और विधायकों के यहां छापमारी की तैयारी चल रही है। यह सब षड्यंत्र का हिस्सा है। सोरेन ने राज्यपाल द्वारा माइनिंग लीज मामले में चुनाव आयोग से दूसरे ओपिनियन मांगे जाने को भी असंवैधानिक बताया। उन्होंने कहा कि जबकि राज्यपाल मीडिया में बयान देते हैं कि चुनाव आयोग से उन्होंने सेकंड ओपिनियन मांगा है, जबकि आयोग ने उन्हें बताया है कि इस लेकर राज्यपाल का कोई पत्र नहीं आया है।
सोरेन ने कहा कि जब उनकी सरकार ने राज्य में संसाधनों का सदुपयोग कर राजस्व बढ़ाया, लंबी लकीर खींची और राज्य के लोगों का विश्वास सरकार के प्रति बढ़ा, तब हाशिए पर जाते विपक्षी दलों में बौखलाहट बढ़ गई और षड्यंत्र शुरू हो गया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बनने के साथ ही इस गिराने का षड्यंत्र शुरू हो गया था।
सोरेन ने कहा कि लोकतंत्र का सम्मान होना चाहिए, इसकारण वे ईडी के सामने जा रहे हैं। ईडी की जांच पड़ताल पर सवाल उठाकर उन्होंने कहा कि साहबगंज जिले में एक हजार करोड़ के अवैध खनन का आरोप लगाया गया है, जबकि यह संभव ही नहीं है।
ईडी की मदद से मेरी सरकार गिराने का षडयंत्र चल रहा : सोरेन
Advertisements
Advertisements