विशेष संपादकीय
राजेश शर्मा
अपने पूर्वजों के यश, कीर्ति और जीवन काल मे जुटाई संपत्ति की रक्षा एवं सम्मान हर सपूत का कर्तव्य ही नहीं धर्म भी है। जो ऐसा नहीं करते उन्हे पितरों के कोप का भागी बनना पड़ता है। यह देश स्वतंत्रता की चाह मे फांसी के फंदों पर झूलने, तोप के मुंह पर बांध कर उड़ा देने और हंसते-हंसते अपने सीने पर दर्जनो गोलियां झेल कर जान देने वालों का ही नहीं, आजादी के बाद तिनका-तिनका जोड़ कर देश बनाने वालों का भी ऋणी है। इन मतवालों ने जिल्लतें सहीं, खुद अभाव का जीवन जिया पर हमारे लिये सुनहरे भविष्य की आधारशिला रखी ताकि अंग्रेजों द्वारा लूटे-खसोटे और दाने, दवाई को मोहताज भारत दुनिया के सांथ कदमताल कर सके और देशवासियों को स्वधीनता के सांथ संपन्नता का भी अहसास हो। विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका पर सवार होकर लोकतंत्र ने सुनहरे सफर की शुरूआत की। देश मे रेल, भेल, सेल, बीमा, बैंक, पेट्रोलियम जैसी अनेकानेक स्वदेशी संस्थाओं का जाल बिछाया गया। इससे रोजगार और विकास के नये युग का सूत्रपात हुआ। आने वाली सरकारों ने भी पूर्ववर्तियों के प्रयासों को और गति दी। इन्ही नीतियों का नतीजा था कि धीरे-धीरे देश विश्व की चुनिंदा ताकतों मे शुमार होने लगा। समय बीतता गया, सत्ता बदली तो सोच ने भी करवट ली। जिन पूंजीवादी ताकतों ने कभी देश की गुलामी का मार्गप्रशस्त किया था, वे चेहरे-मोहरे बदल कर वापस लौटने लगीं। सुविधाभोगी सत्ताधीश जल्दी ही उनके मोहपाश मे फंसते चले गये। अब तो सारी नीतियां ही धन्नासेठ बनाने लगे हैं। निजीकरण भी दरअसल उन्ही कार्पोरेट की बीन से निकल रहा सुर है, जिसके आगे नुमाईन्दों के सिर डोल रहे हैं। जो बेशकीमती संपत्तियां वर्षो की कठोर मेहनत से तैयार हुई थीं, उन्हे कौडिय़ों के दाम बेंचने का अपराध किया जा रहा है। संवैधानिक संस्थाओं पर नियंत्रिण की कुत्सित चालें चली जा रही हैं। स्वाधीनता संग्राम मे स्वस्फूर्त प्राणो की आहुति देने वाले सहस्त्रों शहीद ऐसे थे, जिन्हे यह भी पता नहीं था कि जिस आजादी के लिये वे जान दे रहे हैं, वह कब हांसिल होगी। उन्होने अपने जीवन का बलिदान इस दिन के लिये नहीं दिया था कि हाकिम मनमानी और धनकुबेरों के इशारे पर राष्ट्र का सौदा करते फिरें। हमे याद रखना होगा कि पीडिय़ों के अथक परिश्रम से खड़े देश और उसकी महत्वपूर्ण संस्थाओं को अक्षुण्य रखना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। आज स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर आईये अपने पूर्वजों की धरोहर के सांथ लोकतंत्र और संविधान को सुरक्षित रखने का संकल्प लें, ताकि तिरंगा उन्मुक्त हो कर लहराता रहे।
जय हिंद
स्वतंत्रता दिवस की कोटिश: बधाई
…इसलिये नहीं दी थी शहादत
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