नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने शनिवार को श्रीहरीकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड से वन ओशनसैट-3 सैटेलाइट लॉन्च किया। लॉन्चिंग पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट से की गई। इसके साथ 8 नैनो सैटेलाइट्स लॉन्च किए गए हैं। इसरो ने पीएसएलवी सी54/ईओएस 06 लॉन्च किया है इसे ओशनसैट-3 के नाम से भी जाना जाता है। रॉकेट का प्राथमिक पेलोड एक ओशनसैट है जिसे कक्षा-1 में अलग किया जाएगा। जबकि आठ अन्य नैनो-उपग्रहों को आवश्यकताओं (सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षाओं में) के आधार पर विभिन्न कक्षाओं में रखा जाएगा।
इसरो का यह मिशन वैज्ञानिकों द्वारा किए गए सबसे लंबे समय तक चलने वाले मिशनों में से एक होगा। इसरो ने कहा कि अंतिम पेलोड पृथक्करण 528 किमी की ऊंचाई पर होने की उम्मीद है। अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट-6 ओशनसैट श्रृंखला में तीसरी पीढ़ी का उपग्रह है। यह उन्नत पेलोड विनिर्देशों के साथ-साथ अनुप्रयोग क्षेत्रों के साथ ओशनसैट -2 अंतरिक्ष यान की निरंतरता सेवाएं प्रदान करना है। मिशन का उद्देश्य परिचालन अनुप्रयोगों को बनाए रखने के लिए समुद्र के रंग और पवन वेक्टर डेटा की डेटा निरंतरता सुनिश्चित करना है।ग्राहक पेलोड में भूटान के लिए इसरो नैनो सैटेलाइट-2 (आईएनएस-2 बी) शामिल है जिसमें दो पेलोड नामतः नैनोएमएक्स और एपीआरएस-डिजीपीटर होंगे। नैनोएमएक्स अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र द्वारा विकसित एक मल्टीस्पेक्ट्रल ऑप्टिकल इमेजिंग पेलोड है जबकि एपीआरएस-डिजीपीटर पेलोड संयुक्त रूप से सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार विभाग भूटान और यू आर राव सैटेलाइट सेंटर बेंगलुरु द्वारा विकसित किया गया है। पिक्सेल अपना तीसरा हाइपरस्पेक्ट्रल उपग्रह प्रक्षेपित करने को तैयार है। ‘आनंद एक हाइपरस्पेक्ट्रल लघु उपग्रह है जिसका वजन 15 किलोग्राम से कम है लेकिन इसमें 150 से अधिक तरंगदैर्ध्य हैं जो इसे आज के गैर-हाइपरस्पेक्ट्रल उपग्रहों (जिनकी तरंग दैर्ध्य 10 से अधिक नहीं है) की तुलना में अधिक विस्तार से पृथ्वी की तस्वीरें लेने में सक्षम बनाएंगी।
इसरो ने 9 नैनो सैटेलाइट के साथ श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से लांच किया पीएसएलवी-सी54
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