आस्था से नहीं रेलवे को सरोकार
चैत्र नवरात्र मे भी नहीं चलाई जा रहीं ट्रेने, घटी प्रवासी श्रद्धालुओं की संख्या
बांधवभूमि, उमरिया
रेलवे द्वारा जिले से गुजरने वाली महत्वपूर्ण ट्रेनो को रद्द करने तथा स्टेशनो से स्टापेज छीने जाने से इस बार चैत्र नवरात्र मे आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या मे भारी कमी आई है। विशेष कर बिरसिंहपुर और उचेहरा सिद्धपीठों मे इसका व्यापक असर देखा जा रहा है, जहां पूर्व की अपेक्षा बाहर से आने वाले अधिकांश चेहरे नदारत हैं। उल्लेखनीय है कि चैत्र एवं शारदेय नवरात्र के दौरान संभाग के अलावा अन्य प्रांतों से बड़ी संख्या मे लोग जिले के पाली, उचेहरा तथा उमरिया आदि स्थानो पर पहुंच कर मातेश्वरी की पूजा-अर्चना करते हैं। मां बिरासिनी मंदिर मे तो कई प्रवासी श्रद्धालु हर वर्ष घी-तेल तथा जवारा कलशों की स्थापना कराते हैं। जबकि कई परिवार यहां आ कर अपने बच्चों के मुंडन कनछेदन तथा कन्याभोज आदि धार्मिक आयोजन संपन्न करते हैं। जानकारों के मुताबिक इस वर्ष सक्षम लोग तो अपने साधनो से पहुंच रहे हैं लेकिन ट्रेनो पर आश्रित मध्यम और कमजोर श्रद्धालुओं की तादाद नहीं के बराबर है।
धन्ना सेठों को फायदा
एक वो भी दौर था जब नवरात्र जैसे त्यौहारों पर रेलवे श्रद्धालुओं के लिये नकेवल स्पेशल ट्रेने चलाती थी बल्कि मुख्य स्थानो पर अस्थाई स्टापेज भी दिये जाते थे। ऐसा लगता है कि कभी जन कल्याण के लिये जाने जाते इस विभाग ने धन्नासेठों को फायदा पहुंचाने के लिये अपनी मूल पहचान ही बदल दी है।
नाम के रह गये स्टेशन
रेलवे की कारस्तानी के कारण उमरिया जिले के स्टेशन तो बस नाम के ही रह गये हैं। जहां से केवल मालगाडिय़ों का आवागमन हो रहा है। इन दिनो कुछ चुनिंदा एक्सप्रेस ट्रेनो को छोड़ कर शेष सभी गाडिय़ां बंद पड़ी हैं। इनमे कटनी-चिरमिरी, चंदिया-चिरमिरी और रीवा चिरमिरी को बंद हुए 2 साल बीत गये हैं। वहीं जबलपुर-अंबिकापुर, भोपाल-बिलासपुर सहित कुछ ट्रेने 4 मई तक के लिये निरस्त हैं। जबकि वर्षो से जिले मे रूकने वाली रीवा-बिलासपुर, सारनाथ आदि का स्टापेज ही खत्म कर दिया गया है।
केवल श्रेय लेने की होड़
इधर जिले की जनता रेलवे के अन्याय और शोषण से तबाह हुई पड़ी है, तो उधर जिले के छुटभैये इस मामले मे श्रेय लेने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। कभी कोई काम हुआ नहीं कि उसे अपनी मेहनत का नतीजा बता कर फेसबुक पर छाप दिया, परंतु ट्रेनो के रद्द होने या ठहराव समाप्त करने पर उनके मुंह मे दही जम जाती है। लोग बताते हैं कि रेल सेवाओं को लेकर क्षेत्र की इतनी दुर्दशा पहले कभी नहीं हुई। जनता की नजर अब क्षेत्र की सांसद पर है। लोगों का मानना है कि रेलवे की मनमानी और अन्याय को रोकने के लिये अब कड़ा रूख अपनाने का समय आ गया है।
आस्था से नहीं रेलवे को सरोकार
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