देश का आम बजट आज होगा संसद मे पेश
नई दिल्ली (ईएमएस)। सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट पेश करेंगी। मंगाई से जूझ रही देश की जनता को ढेर सारी उम्मीदेें है। सोमवार को पेश होने वाले बजट में आत्मनिर्भर भारत अभियान का विस्तार किया जा सकता है। सरकार अगले वित्त वर्ष (2021-22) में अपने खर्च कार्यक्रम को भी काफी बढ़ाने जा रही है, जिसकी शुरुआत बीते अक्टूबर से हो गई है। दिसंबर में भी सरकारी खर्च में वर्ष 2019 दिसंबर के मुकाबले 62 फीसद की बढ़ोतरी रही। आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि अगर राजकोषीय घाटा बढ़ता है, तो भी सरकार को अपनी सॉवरेन रेटिंग की चिंता को छोड़ खर्च में बढ़ोतरी करनी चाहिए। विशेषज्ञ चालू वित्त वर्ष में सरकार की घोषणाओं को देखते हुए से आगामी वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 5.5 फीसद तक रहने का अनुमान लगा रहे हैं, जो अधिक चिंता की बात नहीं है। बीते वर्ष मई में आत्मनिर्भर भारत अभियान कार्यक्रम मिनी बजट की तरह था जिसमें मांग में बढ़ोतरी के लिए ग्रामीण विकास से लेकर उद्योग व मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़े कई फैसले किए गए। इसमें छोटे उद्योगों को आसान लोन देने की व्यवस्था की गई। विशेषज्ञों के मुताबिक सोमवार को पेश होने वाले बजट में आत्मनिर्भर भारत में शामिल सभी सरकारी कार्यक्रमों को और विस्तार दिया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मनरेगा कार्यक्रम के लिए सरकार अपना वित्तीय प्रविधान बढ़ा सकती है। चालू वित्त वर्ष में मनरेगा के लिए बजट में 60,000 करोड़ और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत अतिरिक्त 40,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया। ग्रामीण रोजगार के लिए सरकार बजट में कोई नया पैकेज ला सकती है ताकि ग्रामीण अपने गांवों में ही कारोबार शुरू कर सकें।
एग्रीकल्चर और रियल एस्टेट से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
कोरोना प्रसार के बावजूद एग्रीकल्चर सेक्टर ने शानदार वृद्धि की है। देश में सबसे ज्यादा लोग इसी सेक्टर में काम करते हैं। इस बजट में सरकार को कृषि निर्यात को प्रोत्साहन देना चाहिए। एग्रीकल्चर सेक्टर के लिए योजनाओं और छूट की घोषणा की जानी चाहिए। आर्थिक जानकार भुवन भास्कर के मुताबिक कृषि की ग्रोथ मजबूत होने का सीधा असर रोजमर्रा की जरूरत के सामानों, ऑटो और एफएमसीजी सेक्टर पर पड़ता है। वहीं बात रियल एस्टेट की करें तो २०२० में ज्यादातर समय सुस्त पड़े रहने के बाद अब सीमेंट, स्टील और पेंट जैसे सेक्टर में भी तेजी आने की उम्मीद है। इसलिए रियल स्टेट इनवेस्टमेंट को बढ़ावा देने के लिए कम ब्याज दरों पर लोन दिया जाना चाहिए। विदेशी निवेशकों को भी इस सेक्टर में मौका दिया जाना चाहिए।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस से बढ़ेगा विदेशी निवेश
सरकार के सामने इस वक्त दोहरी चुनौती है। एक ओर अर्थव्यवस्था को बढ़ाना है तो दूसरी ओर राजकोषीय घाटे को नियंत्रित रखना है। ऐसे में विदेशी निवेश सरकार कि मुश्किलें आसान कर सकता है। चीन से आने वाली कंपनियों को बड़े पैमाने पर भारत में आकॢषत करने के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार की जरूरत है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस एक तरह का इंडेक्स है, जिससे किसी देश की कारोबार में सुगमता का पता चलता है। इसमें लेबर रेगुलेशन, ऑनलाइन सिंसगल , सूचनाओं तक पहुंच पारदर्शिता जैसे पैमाने शामिल हैं। विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस लिस्ट में भारत ६३वें स्थान पर है।
भारत को निर्यात बढ़ाने पर देना होगा ध्यान
केंद्रीय बजट २०२१ में देश के निर्यात को बढ़ाने पर जोर देना होगा। इसके लिए उन वस्तुओं पर फोकस करना होगा, जिनका निर्माण अन्य देशों के मुकाबले भारत में ज्यादा आसानी से किया जा सकता है। सरकार को ऐसे उत्पादों पर टैक्स छूट देने और इनका निर्यात बढ़ाने के प्रबंध करने होंगे। ऐसा ही एक सेक्टर दवाईयों का है। भारत, वियतनाम को दवाओं की सप्लाई करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है। हाल ही में फिच सॉल्यूशन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा, वियतनाम की फार्मा इंडस्ट्री सिर्फ ५३ प्रतिशत जनसंख्या की मांग पूरी कर सकती है। ऐसे में वहां भारतीय दवाओं की भारी खरीद की संभावना है। भारत चाहे तो यहां निर्यात बढ़ाकर वियतनाम का सबसे बड़ा दवा निर्यातक बन सकता है। भारत को ऐसे बाजारों पर फोकस करना होगा।
खर्च बढ़ाना और राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना जरूरी
सभी को इंतजार है कि सरकार खर्च को बढ़ाए जैसा अक्सर आर्थिक मंदी के दौरान किया जाता है। लेकिन, यह खर्च कैसा होगा, तय करना जरूरी है। सरकार अगर राजस्व खर्च को कम करते हुए कैपिटल खर्च बढ़ाती है तो निवेशकों को इससे खुशी होगी, भले ही इससे अगले कुछ सालों के लिए राजकोषीय घाटा बढ़ा रहे। एक बार अर्थव्यवस्था ने गति पकड़ ली तो सरकार अपने खर्चों की वसूली कर लेगी। सरकार मूलभूत सुविधाओं में आ रही कमी को पूरा करने के लिए एक बैंक का निर्माण भी कर सकती है। इसके अलावा उधार लेना, निवेश कम करना, और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप कुछ और तरीके हैं, जिससे खर्च में बढ़ोतरी की जा सके। फिलहाल जब इक्विटी के दाम अब तक के सबसे ज्यादा स्तर पर हैं, सरकार के लिए यह निवेश से फायदा लेने का सबसे सही समय है।
आम आदमी को राहत की उम्मीद
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