आपदाओं से निपटने के लिए ‘प्रतिक्रियात्मक के बजाय सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत: पीएम

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए ‘प्रतिक्रियात्मक के बजाय सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने और भविष्य की प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर बल दिया, ताकि नुकसान को कम किया जा सके। आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए राष्ट्रीय मंच के तीसरे सत्र का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम प्राकृतिक आपदाओं को रोक नहीं सकते, लेकिन हम उनसे होने वाले नुकसान को कम करने के लिए प्रणाली बना सकते हैं।पीएम मोदी ने कहा, ‘‘हमें प्रतिक्रियात्मक होने के बजाय सक्रिय होना होगा। सक्रिय होने के लिए देश में (पहले) क्या स्थिति थी और अब क्या स्थिति है? आजादी के पांच दशक बाद भी आपदाओं से निपटने के लिए देश में कोई कानून नहीं था।उन्होंने कहा कि कच्छ में वर्ष 2001 में आए भूकंप के बाद गुजरात आपदा प्रबंधन कानून लाने वाला पहला राज्य था। उन्होंने कहा कि इस कानून के आधार पर केंद्र ने वर्ष 2005 में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून बनाया था।इसके बाद राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना की गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि आपदा योजना के बेहतर प्रबंधन के लिए पारंपरिक आवास और नगर नियोजन प्रक्रिया को भविष्य की प्रौद्योगिकी से समृद्ध किया जाना चाहिए। स्थानीय बुनियादी ढांचे की प्रतिरोध शक्ति का वास्तविक समय पर आधारित मूल्यांकन समय की मांग है।पीएम ने कहा कि यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात होनी चाहिए कि तुर्की और सीरिया में आए भीषण भूकंप के बाद पूरी दुनिया ने देश के आपदा राहत कार्यों की सराहना की है। पीएम मोदी ने आपदा प्रबंधन में स्थानीय भागीदारी बढ़ाने और आपदाओं से जुड़ें खतरों से लोगों को जागरूक करने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा, ‘‘आपदा प्रबंधन को मजबूत करने के लिए पहचान (रिक्गनिशन) और सुधार (रिफॉर्म) बहुत जरूरी है।
उन्होंने विस्तार से बताया कि ‘पहचान का मतलब ये समझना है कि आपदा की आशंका कहां है। वह भविष्य में कैसे घटित हो सकती है? सुधार का मतलब है कि ऐसा तंत्र विकसित किया जाए, ताकि आपदा से कम से कम नुकसान हो। प्रधानमंत्री ने आपदा प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए नये दिशा-निर्देश तय करने पर भी बल दिया।

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