मुंबई । कोरोना महामारी और बिगड़ी अर्थव्यवस्था के बाद भी भारत की इकोनॉमी सकारात्मक परिणाम दे रही है। भारत ने काफी समय से 8.5 प्रतिशत की विकास दर को बनाए रखा है और अगर भविष्य में 8 प्रतिशत की दर बनी रहती है, तो देश की अर्थव्यवस्था करीब 7 से 8 सालों में दोगुनी हो सकती है। नीति आयोग उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने यह कहा है। कुमार ने कहा, ‘भारत अपनी अर्थव्यवस्था को लगभग 7 से 8 सालों में दोगुना कर सकता है यदि यह 8 प्रतिशत की दर से बढ़ता है, जो संभव है क्योंकि देश ने लंबे समय तक 8.5 प्रतिशत की विकास दर को बनाए रखा है।’
उन्होंने कहा, “अगर चीजें सामान्य रहती हैं, और हमें महामारी की चौथी लहर या यूक्रेन में किसी भयानक परिणाम का सामना नहीं करना पड़ता है, तो हम 8 प्रतिशत की वृद्धि हासिल कर सकते हैं क्योंकि हमने ऐसा किया है। यदि हम ऐसा कर सकें तो लगभग 7से 8 सालों में अर्थव्यवस्था के दोगुने होने का लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।” उन्होंने कहा कि 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य बयानबाजी नहीं है। भारत पहले से ही 2।7 ट्रिलियन अमरीकी डालर की अर्थव्यवस्था है, इसे बस दोगुना करने की जरूरत है।
इस बात पर गौर देते हुए कि कि भारत ने 2003 से 2011 के दौरान 8.5 प्रतिशत की विकास दर कायम रखी है, उन्होंने कहा, “हमें इस तथ्य को स्वीकार करना चाहिए कि भारत एकमात्र ऐसा देश है, जिसे पर्यावरण की पूरी तरह से देखभाल करते हुए यह वृद्धि (8 प्रतिशत) हासिल करनी होगी। ज्ञात हो कि देश की अर्थव्यवस्था को बल देने के उद्देश्य से भारतीय रिजर्व बैंक ने इस बार भी रेपो रेट नहीं बढ़ाया। रिजर्व बैंक ने फरवरी में हुई अपनी मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा में रेपो रेट नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया था और इसके साथ ही यह 4 फीसद पर बरकरार रहा। इसके अलावा, केंद्रीय बैंक ने अन्य प्रमुख ब्याज दरों को भी नहीं बदला था। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि रेपो रेट में बिना किसी बदलाव के इसे 4 फीसदी पर रखा गया है। एमएसएफ रेट और बैंक रेट भी नहीं बदले गए, इन्हें 4.25 प्रतिशत पर रखा गया। वहीं, रिवर्स रेपो रेट को भी बिना किसी बदलाव के 3.35 प्रतिशत पर रखा गया।
आने वाले 7-8 वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था’ हो सकती है दोगुनी
Advertisements
Advertisements