आधी रोटी खाकर दिया सरकार को संदेश
संविदा कर्मियों का प्रदर्शन 15वें दिन भी जारी, चरमराई जिले की स्वास्थ्य सेवायें
बांधवभूमि, उमरिया
नियमितीकरण तथा हटाये गये कर्मचारियों के बहाली की मांग को लेकर बीते 15 दिनो से कलेक्ट्रेट के सामने हड़ताल कर रहे स्वास्थ्य संविदाकर्मियों ने शुक्रवार को आधी रोटी-आधा पेट खाकर प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होने आधी रोटी-आधा पेट, संविदा जीवन चढ़ गया भेंट के नारे भी लगाये। संगठन के अध्यक्ष नीलेश द्विवेदी ने बताया कि राज्य संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के आहवान पर जिले के कर्मचारी 15 दिसंबर से हड़ताल पर हैं। उनकी मांग है कि सरकार 5 जून 2018 की नीति को लागू करे। सांथ ही निष्कासित कर्मचारियों को पुन: वापस ले। श्री द्विवेदी के अनुसार संविदाकर्मी नकेवल कड़े परिश्रम से स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं को लागू कराते हैं, बल्कि संक्रमण आदि कई प्रकार के खतरों की परवाह किये गये बगैर संकल्पित भाव अपनी सेवायें देते आये हैं। इसके बावजूद शासन उन्हे ना तो सम्मानजनक वेतन दे रहा है, ना हीं नौकरी की गारंटी।
भूखों मरने की कगार पर परिवार
हड़ताली कर्मचारियों ने बताया कि सरकार की आऊटसोर्सिग पॉलिसी के चलते स्वास्थ्य विभाग की कई शाखायें बंद कर यह कार्य ठेकेदारों को देने से इनमे कार्यरत कर्मचारियों को नौकरी से हांथ धोना पड़ा है। इस वजह से कई संविदा कर्मी बेरोजगार हो गये हैं। आज उनके परिवारों के सामने भूखों मरने की स्थिति है। संगठन की मांग है कि सभी संविदा कर्मियों को नियमित करने के अलावा निष्कासित कर्मचारियों को भी बहाल किया जाय।
प्रसव केन्द्र बंद, बच्चों को नहीं लग रहे टीके
करीब दो पखवाड़े से चल रहे इस राज्यव्यापी आंदोलन के चलते जिले की स्वास्थ्य सेवायें पूरी तरह चरमरा गई हैं। दर्जनो प्रसव केन्द्रों पर ताला लटका हुआ है। इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि नवजात शिशुओं के टीकाकरण का कार्य पूर्ण रूप से बंद हो गया है। हड़ताल की वजह से गर्भस्थ व प्रसूता महिलाओं व उनके परिजनो को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। वहीं बच्चों के जीवन के सांथ भी खिलवाड़ हो रहा है। जानकारों का मानना है कि प्रसव पूर्व एवं उसके बाद तथा नवजात शिशुओं का टीकाकरण एक समसामयिक प्रक्रिया है। ये टीके निर्धारित समय पर नियमित रूप से लगने चाहिये। ऐसा न होने से भविष्य मे महिलाओं व बच्चों को कई तरह की समस्यायें आ सकती हैं।
सरकार को कर्मचारियों की जरूरत नहीं
बताया गया है कि जिले मे करीब 300 स्वास्थ्य कर्मी अपनी सेवायें दे रहे हैं। ये सभी अपना काम छोड़ हड़ताल पर चले गये हैं। सरकार और हड़ताली संगठन के रूख को देखते हुए फिलहाल बात बनने के आसार नहीं दिखाई दे रहे। कारण कि कोई भी पक्ष झुकने को तैयार नहीं है। वहीं संगठन के पदाधिकारी सरकार के रवैये से खासे निराशा और दुखी हैं। उनका कहना है कि कोई भी सरकार अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं से लोकप्रिय होती है, और उनको लागू कर्मचारी ही करते हैं, परंतु लगता है मुख्यमंत्री जी को अब उनकी कोई जरूरत नहीं है।
आधी रोटी खाकर दिया सरकार को संदेश
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