आदिवासियों की जान से खेल रहे नक्सली

मप्र-छग सहित 6 राज्यों के 2 लाख ग्रामीणों में कोरोना का खतरा!
नई दिल्ली/भोपाल/रायपुर ।  मप्र और छग सहित 8 राज्यों में नक्सली इनदिनों आदिवासी गांवों में बैठकें कर रहे हैं। इससे आदिवासियों में तेजी से कोरोना फैल रहा है। इस कारण आदिवासियों की जान खतरे में है। हालांकि पुलिस लोगों को समझा रही है, लेकिन आदिवासी नक्सलियों के डर से मीटिंग में शामिल होने को मजबूर हो रहे हैं। इस तरह नक्सली आदिवासियों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि सक्रिय नक्सलियों के चलते जंगल के अंदर मौजूद आदिवासी गांवों में तेजी से कोरोना का संक्रमण फैल रहा है। यहां नक्सलियों के आंदोलन और मीटिंग्स के चलते मप्र, छग, महाराष्ट्र, आन्ध्रप्रदेश, ओडि़शा और तेलंगाना के करीब 2 लाख आदिवासियों की जान खतरे में है। बड़े नक्सलियों को तो अस्पतालों में इलाज मिल रहा है, लेकिन छोटे कैडर और ग्रामीणों को नक्सली कोई इलाज मुहैया नहीं करवा पा रहे हैं। तेलंगाना के सुकमा में मरने वाले आयतु कोरसा जैसे बड़े और संगठन के लिए महत्वपूर्ण नक्सलियों को तेलंगाना के शहरों के बड़े अस्पताल में इलाज के लिए भेजा जा रहा है।
लाखों की जान खतरे में
नक्सलियों के चलते मप्र के बालाघाट और मंडला तथा छत्तीसगढ़ के 8 जिले बस्तर, सुकमा, नारायणपुर, बिजापुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, कोंडागांव, राजनादगांव महाराष्ट्र का गढ़चिरौली, आन्ध्रप्रदेश का विशाखापट्टनम, तेलंगाना का भद्रादि कोठेगुडेम और ओडि़शा के कोरापुट मलकानगिरी के 2 लाख आदिवासियों की जान खतरे में है। भारत के नक्शे पर मौजूद इस रेड कॉरिडॉर को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन 6 राज्यों का कितना बड़ा हिस्सा नक्सलियों की चपेट में है। इन जिलों के घनघोर जंगलों के करीब छोटे-छोटे 1800 से ज्यादा गांव नक्सलियों की चपेट में हैं। यहां लाल गलियारे में नक्सलियों की तूती बोलती है। कोविड संक्रमण के बावजूद नक्सली इन इलाकों में पिछले 1 महीने से कई बड़ी मीटिंग ले रहे हैं। पुलिस के विरोध में लोगों से आंदोलन करवा रहे हैं।
गांवों में फैला संक्रमण
नक्सली तेंदूपत्ता की लेवी नक्सल टैक्स वसूल करने भी ग्रामीण इलाकों में गांववालों की मीटिंग कर कोरोना फैला रहे हैं। सुकमा के कर्मा गोंडी गांव मे यही हुआ। यहां नक्सलियों की मीटिंग के बाद 91 ग्रामीण कोरोना संक्रमित हो गए हैं। एक समर्पित नक्सली हूंगा ने बताया कि मैं मनकापाल में बड़े नक्सलियों द्वारा पुलिस कैम्प खुलने के विरोध में आयोजित आंदोलन में गया था। नक्सली मास्क लगाए थे, लेकिन हमको मास्क नहीं दिया। कई लोग खांसी कर रहे थे। मैं भी वहीं संक्रमित हुआ। इलाज नहीं मिला तो पुलिस से संपर्क किया। यहां इलाज हो रहा है। आंदोलन में नहीं जाने पर आदिवासियों पर 500 रुपये का दंड लगाया जा रहा है।
6 राज्यों के 15 जिलों में बढ़ा खतरा
दंतेवाड़ा के एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव का कहना है कि 6 राज्यों के 15 आदिवासी जिलों में नक्सली छोटे बड़े आंदोलन करवाकर ग्रामीणों की जान खतरे में डाल रहे हैं। वे न तो मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का, जिसके चलते आदिवासियों की जान खतरे में है।

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