सिर्फ बातों तक सिमटा पर्यटन स्थलों का विकास और उन्हे सवारने के वादे
बांधवभूमि, उमरिया
आज 18 अप्रेल को जब पूरी दुनिया मे विश्व विरासत की बातें हो रही होंगी तब भी शायद उमरिया की धरोहरों की चिंता कोई नहीं करेगा। शायद किसी को याद ही न आए कि उमरिया जिले के पर्यटन स्थल और विरासतों को संवरने के लिए कब किसने कितने बड़े वायदे किए थे। दरअसल विरासतों को संवारने की बातें सिर्फ जबानी जमाखर्च बनकर रह गई, जिसका परिणाम है कि यहां की प्रचाीन इमारतें आज भी बदहाली का शिकार है और प्राकृतिक स्थल वीरान पड़े हुए हैं। इन स्थानों पर अनैतिकता नंगा नाच करती है और मासूम युवतियों को व्यभिचारी अपनी तिलस्मी बातों के जाल में फंसाकर ले जाते हैं। दुखद है कि जिले की धरोहर अपने इतिहास के लिए नहीं बल्कि उन शर्मनाक बातों के लिए जानी जाती हैं जिन्हें समाज के जागरुक लोगों की चुप्पी के कारण कुछ बेशर्म लोग यहां अंजाम देते हैं।
बदहाल विरासत को संजोने की जरूरत
कई बैठकों मे वरिष्ठ अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने यह कहा कि जिले के अनेक स्थानों को पर्यटन क्षेत्र के रूप में सजाया संवारा जाएगा पर काम कभी नहीं हुआ। जिले के अमोलेश्वर धाम, मढ़ीवाह, सगरा मंदिर, सहित ऐसी कई जगहें हैं जिनका अपना ऐतिहासिक महत्व है, इसके बावजूद इन स्थानों को सजाने संवारने की कोई पहल नहीं हुई। मढ़ीवाह को कुछ समय पहले आकर्षण का केन्द्र बनाने का प्रयास किया गया था पर बाद मे उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। घने जंगलों के बीच स्थित इस स्थान पर वे ही लोग जाना पसन्द करते हैं जिन्हें एकांतवास की आवश्यकता होती है।
बदमाशों ने बनाया अपना अड्डा
जिले की विरासत अब बदमाशों के अड्डे बन गए हैं जहां या तो शराब पी जाती है या फिर समूह में बैठकर जुआ खेला जाता है। कुछ स्थान तो ऐसे हैं जहां और भी शर्मनाक कृत्य किए जाते हैं। इन स्थानों पर सुरक्षा की कमी और देखभाल के अभाव मे यह काम हो रहे हैं। पुरातात्त्विक धरोहरों की तरफ न तो जिला प्रशासन का ध्यान है और न ही सम्बन्धित विभाग का। कई स्थान तो ऐसे हो गए हैं जहां जाना भी लोगों को नगवार गुजरने लगा है। जिले के लोगों और जिला प्रशासन को इस दिशा में ध्यान देना चाहिये ताकि ऐेतिहासिक विरासतों को बचाया जा सके।
आज विश्व धरोहर दिवस: उपेक्षित हैं जिले की अमूल्य विरासतें
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