रेल सेवा की अनिश्चितता बरकरार, जनप्रतिनिधियों की चुप्पी से लोगों मे निराशा
उमरिया। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर-कटनी खण्ड से गुजरने वाली ट्रेनो को लेकर अनिश्चितता अब भी बरकरार है। रेलवे ने इस रूट पर बड़ी मुश्किल से दुर्ग-भोपाल एवं दुर्ग-छपरा स्पेशल ट्रेनो का संचालन शुरू किया है। जबकि इंदौर, बिलासपुर, लखनऊ, दिल्ली, वलसाड़, अजमेर, हरिद्वार, पुरी, भुवनेश्वर सहित कई दिशाओं की ओर चलने वाली अत्यंत आवश्यक रेग्यूलर ट्रेने अभी भी बंद पडी हैं। जिन्हे चलाये जाने की कोई सुगबुगाहट तक फिलहाल सुनाई नहीं दे रही है। हलांकि इनमे से कुछ स्थानो के बीच त्यौहार स्पेशल ट्रेने चलाये जाने की बात सुनाई दे रही है। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के कारण विगत मार्च के महीने से पूरे देश मे ट्रेनो का संचालन बंद कर दिया गया था। करीब एक महीने पहले रेलवे ने कई स्थानो पर ट्रेनो का संचालन शुरू किया है परंतु कटनी-बिलासपुर मार्ग की ट्रेने अब भी बंद हैं। लगभग आठ महीनो से ट्रेने ठप्प होने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं इसकी वजह से यात्री गाडिय़ों और स्टेशनो पर खान-पान की वस्तुएं बेंच कर जीवन-यापन करने वाले हजारों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
एक तीर से कई निशाने
कोरोना संक्रमण के कारण हुई ट्रेनबंदी के बाद रेलवे का बदला रूख लोगों को न सिर्फ हैरान कर रहा है बल्कि इससे कई प्रकार की शंकायें भी उत्पन्न हो रही हैं। जानकारों का मानना है कि रेलवे बडी ही चालाकी के सांथ पहले से चल रही ट्रेनो को स्पेशल बना कर शुरू कर रहा है। इससे यात्रियों को मिलने वाली करीब 200 प्रकार की रियायतें अपने आप बंद हो गई हैं। वहीं स्टापेज को लेकर प्रबंधन के सामने कोई समस्या नहीं है, अब वह अपने हिसाब से ट्रेनो के ठहराव को मैनेज कर सकता है। वहीं उन स्टेशनो से छुटकारा भी पाया जा सकता है जहां विंडो सेल बेहद कम है। सूत्रों का दावा है कि यह सब एक सोची-समझी योजना के तहत हो रहा है। दरअसल रेलवे भी आपदा को अवसर बना कर एक तीर से कई निशाने साध रहा है।
फिर स्पेशल ट्रेनो का संचालन क्यों
रेलवे के अधिकारियों का तर्क है कि कोरोना के कारण रेग्यूलर टे्रनो का संचालन नहीं हो पा रहा है। अब पब्लिक की डिमाण्ड के आधार पर संबंधित राज्यों की सहमति से ही ट्रेने चलाई जा रही है। यह भी जानकारी मिली है कि इस पूरी प्रक्रिया की मॉनिटरिंग प्रधानमंत्री कार्यालय कर रहा है। अब सवाल उठता है कि जब करीब दो मांह तक फेस्टीवल स्पेशल ट्रेने चलाई जा सकती हैं तो रेग्यूलर ट्रेन चलाने मे क्या दिक्कत है।
उमरिया, चंदिया को लग चुका झटका
रेलवे की नई रणनीति से सबसे पहला झटका जिला मुख्यालय उमरिया और चंदिया को उस समय लगा जब दोनो स्टेशनो पर करीब 35 वर्ष पूर्व से रूकती चली आ रही छपरा-दुर्ग ट्रेन का स्टापेज छीन लिया गया। इस मामले मे भी रेलवे अधिकारियों ने स्पेशल ट्रेन होने का हवाला दिया था, हलांकि इस ट्रेन के आखिरी चारों नंबर सारनाथ एक्सप्रेस से मेल खाते हैं। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए उमरिया और चंदिया मे ट्रेन का स्टापेज पूर्ववत करने की मांग की है, परंतु क्षेत्रीय सांसद ने अपने मुंह से एक शब्द भी नहीं कहा है।
लग रहा 25-30 फीसदी ज्यादा किराया
त्योहार के समय आम लोगों को राहत देने के लिए रेलवे की ओर से क्लोन स्पेशल व पर्व स्पेशल ट्रेने चलाई जा रही हैं। इन ट्रेनों मे यात्रियों को पहले की तुलना मे 25 से 30 फीसदी अधिक किराया देना पड़ रहा है। जबकि इन ट्रेनों मे अमूमन सामान्य व मध्यम वर्ग के यात्री ही यात्रा करते हैं।