डॉक्टरों की हड़ताल से पहले दिन ही मची अफरातफरी, जिले भर मे दिखा असर
बांधवभूमि, उमरिया
सरकारी डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से जिले की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। हड़ताल के पहले ही दिन बड़ी संख्या मे मरीज और उनके परिजन यहां से वहां भटकते नजर आये। सबसे ज्यादा परेशानी गंभीर बीमारी से ग्रस्त लोगों, बच्चों और महिलाओं को हो रही है। गौरतलब है कि डायनामिक एश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन (डीएसीपी) योजना को लागू करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ द्वारा विगत सप्ताह शासन के नाम का ज्ञापन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरके मेहरा को सौंपा गया था। जिसके बाद जिले के डाक्टरों ने काली पट्टी बांध कर कार्य किया। दूसरे दिन दो घंटे तक काम बंद किया गया। इसके बाद भी जब सरकार की ओर से मागों के संबंध मे कोई कार्यवाही या आश्वासन नहीं मिला तो बुधवार सुबह 10 बजे से हड़ताल शुरू कर दी गई। बताया गया है कि जिला अस्पताल के सांथ ही जिले के सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों मे पदस्थ चिकित्सक भी हड़ताल मे शामिल हैं, जिससे शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों मे लोगों के सामने इलाज की समस्या उत्पन्न हो गई है।
आयुर्वेद डाक्टरों को सौंपी कमान
डाक्टरों की हड़ताल के कारण जिला अस्पताल मे ओपीडी, आईपीडी, एमरजेन्सी से लेकर पोस्टमार्टम तक के कार्य बंद हो गये हैं। जानकारों का मानना है कि यह आंदोलन जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा, दिक्कतें भी बढ़ती चली जायेंगी। हलांकि प्रबंधन ने वैकल्पिक व्यवस्था के तहत आयुर्वेदिक डाक्टरों को अस्पताल की कमान सौंपी है, परंतु उनकी संख्या और उपचारविधि को देखते हुए उक्त इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। हड़ताल मे डॉ. मुकुल तिवारी, डॉ. एलएन रूहेला, डॉ.राजीवलोचन द्विवेदी, डॉ.वीएस चंदेल, डॉ.अनामिका तिवारी, डॉ. सीपी शाक्य, डॉ. निपाने, डॉ.भास्कर पाण्डेय, डॉ. रश्मि धनंजय आदि मौजूद थे।
अस्पतालों मे भटकते रहे मरीज
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